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IPL : इंम्पैक्ट प्लेयर नियम और अनकैप्ड और विदेशी खिलाड़ियों के रिटेंशन सहित अन्य विषयों पर होगी चर्चा

कुछ फ़्रैंचाइज़ी बड़ी नीलामी के लिए पंजीकरण को अनिवार्य करना चाहती हैं ताकि विदेशी खिलाड़ी बड़ी रकम हासिल करने के उद्देश्य से छोटी नीलामी का लाभ ना उठा सकें

A giant replica of the IPL 2024 trophy is put up on display at Chepauk, Chennai Super Kings vs Royal Challengers Bangalore, IPL 2024, Chennai, March 22, 2024

IPL ने खिलाड़ियों के वेतन के संबंध में अपने सुझाव दिए हैं  •  AFP/Getty Images

IPL और इसकी 10 फ़्रैंचाइज़ियों के बीच बुधवार को बैठक होने वाली है। इस बैठक के एजेंडे में 2025 IPL नीलामी से पहले रिटेंशन के रूप में अनकैप्ड खिलाड़ियों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ इम्पैक्ट प्लेयर नियम पर चर्चा हो सकती है। मुंबई में BCCI मुख्यालय में फ़्रैंचाइज़ियों के प्रतिनिधियों के साथ उनके मालिकों की बंद कमरे में बैठक होनी है।
फ़िलहाल इस मीटिंग के जो एजेंडे हैं, उसमें मेगा ऑक्शन को हर पांच में साल में कराए जाने का विषय शामिल है। साथ ही राइट टू मैच कार्ड विकल्प और टीम में विदेशी खिलाड़ियों की संख्या पर भी चर्चा होनी है। ये सभी बिंदु IPL द्वारा तय किए गए हैं। IPL के मुख्य परिचालन अधिकारी हेमांग अमीन ने पिछले कुछ महीनों में फ़्रैंचाइज़ियों से मुलाकात की थी और उसके बाद ही इन सभी बिंदुओं को एजेंडे में शामिल किया गया था। BCCI ने फ़्रैंचाइज़ियों से 2025 की रिटेंशन और नीलामी प्रक्रिया को अंतिम रूप देने से पहले फ़ीडबैक भी मांगा था।

इम्पैक्ट प्लेयर - ख़त्म करें या बरक़रार रखें?

2024 में आठ बार 250 से अधिक का स्कोर बना, जिसमें टूर्नामेंट के इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर 287 भी शामिल है, जिसे सनराइज़र्स हैदराबाद (SRH) ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के ख़िलाफ़ बनाया था। क्रिकेट पंडित और कई वरिष्ठ खिलाड़ियों का मानना था कि इस तरह की आक्रामक क्रिकेट इम्पैक्ट प्लेयर नियम का परिणाम था। इस नियम के कारण टीमों को आवश्यकता के आधार पर एक अतिरिक्त विशेषज्ञ बल्लेबाज़ या गेंदबाज़ चुनने की अनुमति दी गई थी।
IPL का मूल उद्देश्य इम्पैक्ट प्लेयर नियम के माध्यम से अधिक भारतीय खिलाड़ियों को एक्सपोजर देना था। साथ ही अनकैप्ड खिलाड़ियों को भी इस नियम के ज़रिए मदद करने की कोशिश थी, ताकि उन्हें ज़्यादा मौक़ा मिल सके। हालांकि भारत के टेस्ट और वनडे कप्तान रोहित शर्मा ने इस नियम के बारे में कहा था कि वह इम्पैक्ट प्लेयर के बहुत बड़े प्रशंसक नहीं हैं क्योंकि यह भारतीय ऑलराउंडरों के "विकास" को रोक रहा है।
यह राय IPL के कुछ फ़्रैंचाइज़ियों ने भी रखी है और इनमें से एक ने ESPNcricinfo को बताया है कि उन्होंने IPL को यह सूचित किया है कि वह इस नियम को हटाए जाने के पक्ष में हैं, ताकि एक मैच में दोनों टीमों के सर्वश्रेष्ठ एकादश के बीच मुक़ाबला संभव हो सके।

अनकैप्ड रिटेंशन में हो बढ़ोतरी

2022 की बड़ी नीलामी से पहले आठ पुरानी फ़्रैंचाइज़ियों को कम से कम दो अनकैप्ड खिलाड़ियों को रिटेन करने की अनुमति दी गई थी। अनकैप्ड खिलाड़ियों द्वारा किए जा रहे बेहतर प्रदर्शन और उन्हें तैयार करने में लगने वाली मेहनत को देखते हुए फ़्रैंचाइज़ी चाहती हैं कि वह अधिक से अधिक खिलाड़ियों को रिटेन कर सकें।
ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अमीन के समक्ष यह सुझाव रखा गया है कि या तो टीमों को रिटेंशन पुल में विशेष छूट मिले या फिर राइट टू मैच कार्ड के ज़रिए उन्हें अधिक से अधिक खिलाड़ियों को रिटेन करने की सुविधा मुहैया कराई जाए।

वृद्धिशील प्रदर्शन वेतन (Incremental Performance Pay)

ऐसी संभावना जताई जा रही है कि IPL ने फ़्रैंचाइज़ियों को खिलाड़ियों को आर्थिक प्रोत्साहन दिए जाने का सुझाव दिया है क्योंकि पहले की तुलना में अब टीमों को अधिक पैसा मिल रहा है। इस सुझाव के पीछे IPL की मंशा यह हो सकती है कि वह ऐसे खिलाड़ियों का वेतन बढ़ाने की पक्ष में हो जिन्हें नीलामी में उनके बेस प्राइस पर ख़रीदा गया और बाद में उन्हें उसी प्राइस पर रिटेन कर लिया गया। बावजूद इसके कि इस अवधि में उस खिलाड़ी का कद बढ़ गया था।
ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि IPL ने खिलाड़ियों को मैच फ़ीस का भुगतान किए जाने की सिफ़ारिश की है, लेकिन इसके विरोध में कुछ फ़्रैंचाइज़ियों ने यह तर्क दिया कि फिर ऐसे खिलाड़ियों का क्या होगा जिन्हें एकादश में जगह नहीं मिल पाती है? वर्तमान समय में, खिलाड़ियों को अनुबंध के मुताबिक फ़्रैंचाइज़ी के समग्र नीलामी पर्स का विवेकाधीन शुल्क मिलता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि टूर्नामेंट में टीम का कैसा प्रदर्शन रहता है। और यह नंबर IPL ही तय करता है। आईपीएल को दिए गए सुझावों में से एक यह था कि मैच फ़ीस के बजाय प्रोत्साहन राशि में डाली जाने वाली राशि को अंतिम रूप देना बेहतर होगा, जिसका उपयोग फ़्रैंचाइज़ी अपने विवेक से प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कृत करने के लिए कर सकती है।

विदेशी खिलाड़ी

विदेशी खिलाड़ियों के संबंध में टीमों ने कई प्रस्ताव रखे हैं। कम से कम एक फ़्रैंचाइज़ी ने यह सुझाव ज़रूर दिया है कि रिटेंशन कैप पर अंतिम निर्णय लिए जाने के बाद, खिलाड़ियों को दोबारा ख़रीदे जाने को लेकर फ़्रैंचाइज़ी पर किसी तरह की पाबंदी नहीं होनी चाहिए। मसलन, अगर IPL अधिकतम पांच खिलाड़ियों को रिटेन किए जाने की अनुमति देता है तब ऐसी स्थिति में टीम को पांचों विदेशी खिलाड़ियों को रिटेन करने की छूट मिलनी चाहिए।
फ़्रैंचाइज़ियों ने IPL को यह भी बताया है कि उन्हें इस बात का विश्वास है कि विदेशी खिलाड़ियों ने रिकॉर्ड रकम पाने के उद्देश्य से छोटी नीलामियों को काफ़ी प्रभावित किया है। उनका मानना है कि इन खिलाड़ियों ने बड़ी नीलामी ने किनारा किया है क्योंकि उसमें फ़्रैंचाइज़ियों का ध्यान टीम बनाने पर अधिक केंद्रित होता है। एक सुझाव यह भी दिया गया है कि बड़ी नीलामी के लिए पंजीकरण कराए जाने को अनिवार्य किया जा सकता है।
एक फ़्रैंचाइज़ी के हेड के अनुसार IPL एक ऐसी व्यवस्था करने की भी सोच रहा है कि नीलामी में खिलाड़ियों पर लगाई जाने वाली बोली की राशि बड़ी नीलामी से पहले सबसे बड़ी राशि पर रिटेन किए गए खिलाड़ी की रकम से अधिक ना हो पाए। ऐसी स्थिति में IPL ने रिटेन होने वाले पहले खिलाड़ी के लिए 20 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित की है तब नीलामी में सबसे बड़ी बोली इस राशि से अधिक नहीं लग पाएगी। अगर दो टीमें इस रकम तक बोली लगा देती हैं तब ऐसी स्थिति में टाई ब्रेकर के ज़रिए निर्णय लिया जा सकता है। यह तरीका IPL के शुरुआती संस्करणों में भी अपनाया गया था।
2010 में पहली बार इसका उपयोग किया गया था। इसे छोटी नीलामियों में उपयोग में लाए जाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। कायरन पोलार्ड (मुंबई इंडियंस) और शेन बॉन्ड (कोलकाता नाइट राइडर्स) को 2010 में जबकि रवींद्र जाडेजा को 2012 में टाई ब्रेकर के ज़रिए ख़रीदा गया था।