क्या इंग्लैंड के स्पिनरों के ख़िलाफ़ भारतीय बल्लेबाज़ कर सकते हैं वापसी?
सीरीज में अभी तक भारत के 40 में से 33 विकेट स्पिनरों के खिलाफ गिरे हैं
कार्तिक कृष्णास्वामी
12-Feb-2024
Shubman Gill sweeps a full toss • AFP via Getty Images
आर अश्विन, रवींद्र जाडेजा, अक्षर पटेल, कुलदीप यादव।
जैक लीच, रेहान अहमद, टॉम हार्टली, शोएब बशीर, जो रूट।
भारत और इंग्लैंड के स्पिन आक्रमण ने जब सीरीज़ की शुरुआत की थी तो एक के नाम नाम 23.35 की औसत से 849 तो दूसरे के नाम 36.83 की औसत से 191 विकेट ही थे।
दो टेस्ट इस सीरीज़ के हो गए हैं, जिसमें पहले (इंग्लैंड) ने 33.90 की औसत से 33 विकेट लिए हैं तो दूसरे ने 38.39 की औसत से 23 विकेट।
दोनों टीमों के स्पिनरों की औसत तो लगभग आस-पास है, लेकिन विकेटों की संख्या दिखाती है कि इंग्लिश स्पिनरों ने भारतीय स्पिनरों को आउटप्ले किया है।
यह 2012-13 की इंग्लैंड की 2-1 से जीत के बाद से पहली बार है, जब भारत में किसी मेहमान टीम के स्पिनरों की औसत घरेलू स्पिनरों से बेहतर है। यहां यह भी देखने वाली बात है कि इस श्रृंखला में सबसे अधिक ओवर फ़ेंकने वाले इंग्लैंड के चार स्पिनरों में से एक पार्टटाइमर है और तीन ऐसे गेंदबाज़ हैं जो सिर्फ़ एक टेस्ट मैच के अनुभव के साथ यहां पहुंचे थे।
हालांकि अभी इस सीरीज़ में तीन और टेस्ट होने बाक़ी हैं। 2016-17 में ऑस्ट्रेलिया और 2020-21 में इंग्लैंड ने अपने-अपने दौरों का पहला टेस्ट जीता था, लेकिन दूसरा हार गए थे। पिछली बार भी विदेशी स्पिनरों ने दूसरे टेस्ट के अंत तक घरेलू स्पिनरों के औसत की बराबरी की थी या उनसे बेहतर प्रदर्शन किया था। इसके बाद भारतीय स्पिनरों ने वापसी करते हुए सीरीज़ पर् क़ब्ज़ा किया था।
विदेशी स्पिनरों के लिए भारत दौरा कौशल के साथ-साथ ताक़त की भी परीक्षा होती है। जैक लीच के रूप में उनका सबसे अनुभवी स्पिनर इस श्रृंखला के बाक़ी मैचों से बाहर हो गया है। इंग्लैंड का आक्रमण यह उम्मीद कर सकता है कि उनके लिए आगे का सफ़र आसान नहीं होगा।
यह मानने का कारण भी है कि इंग्लैंड की अब तक की वापसी में भाग्य ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जहां भारत के बल्लेबाज़ों ने इंग्लैंड की तुलना में स्पिन के ख़िलाफ़ काफ़ी बेहतर नियंत्रण प्रतिशत हासिल किया है, वहीं उनकी ग़लतियों का ख़ामियाजा उन्हें कई बार भुगतना पड़ा है। भारत के बल्लेबाज़ों के आठ में से लगभग एक ख़राब शॉट पर उन्होंने विकेट गंवाया है, जबकि इंग्लैंड के बल्लेबाज औसतन एक बार आउट होने से पहले 12 ख़राब शॉट खेले हैं, लेकिन बच गए हैं।
लंबी सीरीज़ में भाग्य साथ नहीं देता है, लेकिन अब तक ऐसा महसूस हुआ है कि भारत के साथ दुर्भाग्य रहा है, जहां वे अपने नियंत्रण को बनाने में असफल रहा है।
हैदराबाद में दूसरे दिन कई बल्लेबाज़ स्पिन के ख़िलाफ़ आक्रमक शॉट खेलते हुए आउट हुए, जहां वे ट्रेडिशनल बोल्ड, एलबीडब्ल्यू, कीपर के कैच, स्लिप या बैट-एंड पैड पर आउट नहीं हुए थे। यह खेल का एक अंश था जिस पर भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने कहा था कि टीम उस समय को प्रभावी स्थिति में नहीं बदल सकी। भारत की पहली पारी में 190 रन की बढ़त को पलटना एक मुश्किल काम था लेकिन ऑली पोप जैसी पारी जीवन में एक बार खेली जाती है।
द्रविड़ ने कहा था, "मुझे लगा कि हमने पहली पारी में 70 रन कम बनाए। मुझे लगता है कि हमारी पहली पारी के दौरान दूसरे दिन विकेट बल्लेबाज़ी के लिए अच्छा था। मुझे लगता है कि इस तरह की परिस्थिति में हमें अच्छी शुरुआत करनी चाहिए थी, लेकिन हम मौक़े का फ़ायदा नहीं उठा पाए। हमने शतक नहीं लगाया, ऐसा कोई नहीं था जिसने हमारे लिए बड़ी पारी खेली हो। तो ऐसे में मुझे लगता है कि पहली पारी में हमने 70-80 रन कम बनाए थे।"
विशाखापटनम में दूसरे टेस्ट में भी यह भावना बन रही थी कि भारत एक अच्छा स्कोर बनाने लायक रन नहीं बना रहा है। उनके शीर्ष छह में से पांच ने अपनी पहली पारी में 20 रन बनाए और उनमें से एक ने दोहरा शतक बनाया, लेकिन उनका कुल स्कोर 400 से थोड़ा कम रह गया। दूसरी पारी में भारत एक समय 354 रन से आगे था और उसके छह विकेट शेष थे। लेकिन इंग्लैंड ने जो लक्ष्य सोचा था वह एक बार फिर 400 से थोड़ा कम रह गया।
दोनों पारियों में बल्लेबाज़ अज़ीब तरीक़ों से आउट हुए। पहली पारी में रोहित शर्मा ने ऑफ़ ब्रेक गेंद को सीधा लेग स्लिप की गोद में डाल दिया। अक्षर और केएस भरत ने सीधे बैकवर्ड प्वाइंट के हाथों में स्क्वायर कट मारा। दूसरी पारी में अपना शतक पूरा करने के तुरंत बाद शुभमन गिल ने रिवर्स-स्वीप लगाया और भरत ने पुल शॉट सीधे मिडविकेट के हाथों में दे दिया।
विशाखापटनम की उस पिच पर, स्पिनरों की गेंद कभी-कभी रुककर और अज़ीब उछाल के साथ आ रही थी। ऐसे में इन शॉट पर विकेट जाना लाजमी था। व्यक्तिगत रूप से यह कहना कठिन था कि क्या बल्लेबाज़ों ने ग़लत शॉट चुना या सही शॉट ख़राब तरीके़ से खेला या ऐसा हुआ कि गेंद घूम गई या थोड़ा अधिक उछल गई। सामूहिक रूप से वे एक साधारण आक्रमण के ख़िलाफ़ दूसरी बार विफल रहे और प्रतिद्वंद्वी को पूरी तरह से मैच से बाहर करने में विफल रहे।
हैदराबाद में टेस्ट मैच हारने के बाद जसप्रीत बुमराह अगर ऐसा कमाल का प्रदर्शन नहीं करते तो किसे पता विशाखापटनम में क्या होता।
यह हो सकता है जब आपके लाइन अप में अनुभव की कमी हो। विराट कोहली पूरी सीरीज़ से बाहर हैं और टीम चेतेश्वर पुजारा व अजिंक्य रहाणे से पूरी तरह से आगे बढ़ चुकी है। उन्होंने सीरीज़ की शुरुआत शीर्ष छह में ऐसे खिलाड़ियों के साथ कि जिसमें से तीन ने ही 30 से अधिक टेस्ट खेले और उनमें से दो केएल राहुल और जाडेजा चोट की वजह से दूसरा टेस्ट नहीं खेले। अब राहुल भी चोट के कारण दोबारा बाहर हो गए हैं। यहां तक कि इस श्रृंखला में शामिल अधिक अनुभवी बल्लेबाज़ भी नई भूमिकाओं के आदी हो रहे हैं। गिल अभी भी मध्य क्रम में नए हैं और विशाखापटनम में अक्षर ने पहली बार शीर्ष छह में बल्लेबाज़ी की।
अधिकतर भारतीय खिलाड़ी लगातार सफ़ेद गेंद क्रिकेट खेलते आ रहे हैं। हाल ही में अगर उन्होंने कोई लाल गेंद क्रिकेट खेला भी था तो वह साउथ अफ़्रीका में था, जहां तेज़ गेंदबाज़ों के मुफ़ीद पिचें थी और उन्होंने एक गेंद भी स्पिन की नहीं खेली। इसमें आश्चर्य की बात नहीं है कि भारतीय बल्लेबाज़ जितना स्वीप कर रहे हैं या हवा में शॉट खेल रहे हैं, उन्हें कम करना होगा।
यह एक ऐसा कौशल है जिसे दर्शक अक्सर भारतीय बल्लेबाज़ों को देखते समय हल्के में लेते हैं, लेकिन हर अन्य कौशल की तरह इसे भी लगातार निखार लाने की ज़रूरत है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत राजकोट में तीसरे टेस्ट से पहले इस पर कड़ी मेहनत कर रहा है। वह उम्मीद कर रहा है कि उनके बल्लेबाज़ दो स्पिन आक्रमणों के बीच ताक़त का संतुलन बहाल करने में अपना योगदान दे सकते हैं।
कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।