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RR के मालिक बडाले: संजू सैमसन भावनात्मक रूप से थक चुके थे

मनोज बडाले ने कहा, "राहुल द्रविड़ और संजू सैमसन के जाने से मन भारी है। मैं इसके कारण चैन से नहीं सो पाता"

राजस्थान रॉयल्स की टीम IPL 2025 के ख़त्म होने के बाद से लगातार चर्चा में है। उनके कप्तान संजू सैमसन के टीम छोड़ने की बातें लगातार हो रही थी। इसके बाद राहुल द्रविड़ ने अपना पद छोड़ने का फै़सला किया। वह सिर्फ़ एक साल पहले ही टीम के मुख्य कोच बने थे। इसके अलावा टीम मैनेजमेंट के लोगों का भी टीम में आना-जाना लगा रहा। सबसे ज़्यादा चर्चा तब हुई, जब RR ने सैमसन को CSK के साथ ट्रेड कर दिया और बदले में रवींद्र जाडेजा और सैम करन उनकी टीम में शामिल हुए।
आखिर ऐसी क्या वजह थी कि पिछले चार साल में दो बार प्लेऑफ़ खेल चुकी और 2022 में फ़ाइनल तक पहुंचने वाली टीम में अचानक इतनी उथल पुथल में दिखी
ESPNcricinfo के साथ इस खास बातचीत में टीम के मुख्य मालिक मनोज बडाले बताते हैं कि यह सब क्यों हुआ और वह क्यों मानते हैं कि RR की नींव अब भी मजबूत है।
रवींद्र जाडेजा को वापस लाना और संजू सैमसन को रिलीज करना, क्या IPL 2025 ख़त्म होने के बाद आपको पहले से ही इस घटना का अनुमान था?
जैसे ही 2025 का सीज़न समाप्त हुआ, मेरे मन में सबसे पहला विचार यही आया कि हमें तुरंत एक व्यापक और निष्पक्ष समीक्षा करनी होगी कि हमारा प्रदर्शन इतना निराशाजनक क्यों रहा। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि बेहतर प्रदर्शन के समय भी हम ऐसी समीक्षाएं करते हैं। इसलिए 2025 के सीज़न के बाद भी यह प्रक्रिया जारी रही। एकमात्र अंतर यह था कि इस बार हम अपने अठारह साल के इतिहास के सबसे ख़राब प्रदर्शन का विश्लेषण कर रहे थे। मेरे लिए यह समझना सर्वोपरि था कि कमियां कहां थीं और 2026 के सीज़न के लिए टीम को मज़बूत बनाने हेतु कौन से परिवर्तन आवश्यक हैं।
राहुल द्रविड़ को हटाने की मीडिया रिलीज़ में आपने 'संरचनात्मक समीक्षा' का ज़िक्र किया गया था। यह समीक्षा किसने की और इसमें किन लोगों से बातचीत हुई?
हम अपनी समीक्षाओं में हमेशा स्वतंत्र राय शामिल करने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिए, 2020 के मुश्किल सीज़न के बाद, एंड्रयू स्ट्रॉस ने समीक्षा का नेतृत्व किया था और कई वर्षों तक एक निष्पक्ष नज़रिया दिया। इस बार स्ट्रॉस उपलब्ध नहीं थे, क्योंकि वह अन्य कामों पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे।
इस बार समीक्षा की ज़िम्मेदारी स्टुअर्ट लैंकेस्टर ने संभाली। हालांकि वह मुख्य रूप से रग्बी कोच हैं, उन्हें क्रिकेट से बहुत लगाव है। उनका कोचिंग करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा है। इसलिए उनका अनुभव टीम के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण था।
मेरे व्यावसायिक साझेदार चार्ल्स मिंडेनहॉल ने भी समीक्षा में सहायता की। उनके पास बोर्ड का अठारह वर्षों का अनुभव है और वह अपनी निष्पक्ष राय के लिए जाने जाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, टीम के सभी महत्वपूर्ण सपोर्ट स्टाफ़ और ज़्यादातर प्रमुख खिलाड़ियों के साथ विस्तृत बातचीत की गई।
इसमें मुख्य कोच द्रविड़, कप्तान सैमसन, असिस्टेंट कोच और डायरेक्टर ऑफ़ क्रिकेट कुमार संगकारा भी शामिल थे?
बिल्कुल। द्रविड़ और संगकारा से तो कई बार चर्चा हुई।
समीक्षा में सबसे बड़ी सिफारिशें क्या निकलीं?
तीन बड़ी बातें सामने आईं। पहला, हमारी संरचना ज़रूरत से ज्यादा जटिल हो गई थी। दूसरी, इसे सरल और एक दिशा में चलने वाली बनाना ज़रूरी था। तीसरी, IPL में खिलाड़ियों के बीच जुड़ाव बेहद अहम होता है। असली समस्या यही थी कि हमने चीजों को बहुत उलझा दिया था और इसकी जिम्मेदारी मेरी है।
क्या आप इस बात को और अधिक स्पष्ट कर सकते हैं? (कि आपको किस तरह की संरचना चाहिए थी।)
हमारी ज़रूरत एक सरल संरचना की थी। इससे निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेज़ी और सुधार आता। समीक्षा के दौरान यह साफ़ हो गया कि हमारी टीम के कई क्षेत्रों में सुधार की गुंजाइश है।
IPL 2024 के बाद आपने राहुल द्रविड़ को मुख्य कोच बनाया। बाहर से यह फ़ैसला चौंकाने वाला था, क्योंकि कुमार संगकारा 2021 से 2024 तक टीम को दो प्लेऑफ़ और एक फ़ाइनल तक ले गए थे। बदलाव की ज़रूरत क्यों महसूस हुई?
असल में यह फ़ैसला उसी समय नहीं लिया गया था। हमारी बातचीत कई सालों से चल रही थी। वह (द्रविड़) हमेशा भारत के महानतम कोचों में गिने जाएंगे। उनके कोचिंग करियर की शुरुआत भी RR से हुई थी, और वह एक क़रीबी दोस्त हैं। उनकी कोई औपचारिक भूमिका न होने पर भी, वह हमेशा हमें सलाह देते रहे हैं। मेरी हमेशा से यह इच्छा थी कि वह वापस आएं, लेकिन उन्होंने तभी आने की इच्छा जताई जब वह भारत के लिए कोई ट्रॉफ़ी जीत लें। उन्होंने T20 विश्व कप 2024 जीतकर यह कर दिखाया।
फिर जब मुख्य कोच की भूमिकाएं बदलनी थीं, द्रविड़ से बात करना कितना कठिन रहा?
बातें असल में इस बारे में थीं कि वह फ्रेंचाइजी में बड़ी भूमिका स्वीकार करें। यह चर्चा कभी उनके हटने को लेकर नहीं थी। मेरी इच्छा थी कि वह बड़ी जिम्मेदारी संभालें, लेकिन उनकी इच्छा रही कि वह सिर्फ़ मुख्य कोच की भूमिका में बने रहें। इसी अलग सोच की वजह से उन्होंने आगे बढ़ने का फै़सला किया।
बीते छह महीनों में जो हुआ, क्या वह 2025 की मेगा ऑक्शन से पहले की रिटेंशन लिस्ट का नतीजा था?
पीछे मुड़कर देखें तो कुछ फै़सले उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे, लेकिन ख़राब सीजन के बाद ऐसा नतीजा लगभग तय होता है। हालांकि यह अलग होने का कारण नहीं था। ऐसा नहीं कहा जा सकता कि रिटेंशन ग़लत हुई तो इसका असर सात महीने बाद यह हुआ। खेल में बड़ा फै़सला कई लोगों का सम्मिलित नजरिया होता है। हालांकि अंत में मैं ही जिम्मेदार हूं।
आप शायद यह कह रहे हैं कि रिटेंशन गलत हुई और इसलिए आगे सब बिगड़ा। लेकिन बात इतनी सीधी नहीं है। हम 2025 का सीजन हार गए, लेकिन चार मैच ऐसे थे जहां आख़िरी ओवर से पहले हमारी जीत की संभावना 90 प्रतिशत से ऊपर थी। तीन मैच में तो यह आंकड़ा 98 प्रतिशत था. वह चार मैच जीत जाते तो सीजन की धारणा अलग होती। फिर भी मैं मानता हूं कि हम समीक्षा ज़रूर करते और निष्कर्ष भी वही आते। समीक्षा तो हर हाल में होती ही।
सैमसन जैसे खिलाड़ी टीम छोड़ना चाह रहे हैं, यह बात जानना कितना कठिन था? उन्होंने इस फै़सले के बारे में कब बताया?
सीजन के अंत तक उन्होंने इशारा कर दिया था कि वह भावनात्मक रूप से थक चुके हैं। मेरे एक दोस्त कहते हैं कि जीवन में तीन तरह की पूंजी होती है। शारीरिक पूंजी, बौद्धिक पूंजी और भावनात्मक पूंजी। संजू ने जो कहा, उनका मतलब यही था कि RR के लिए जो भावनात्मक निवेश उन्होंने किया था, वह पूरी तरह थक चुका था। फ्रेंचाइजी चलाते समय खिलाड़ी कई बार छोड़ने या रिटेन होने की इच्छा जताते हैं। उनका ध्यान अपने करियर और भारतीय टीम की संभावनाओं पर रहता है। लेकिन संजू के साथ ऐसा पहले कभी नहीं था।
जब वह कहते हैं कि वह आगे बढ़ना चाहते हैं तो वह भावनात्मक रूप से थक चुके हैं। वह नई शुरुआत करना चाहते हैं। मैंने साफ़ कहा कि अगर वह नया अध्याय शुरू चाहते हैं तो हम सहयोग करेंगे, लेकिन यह ट्रेड के जरिये ही होगा और तभी होगा जब हमारी टीम को वह ट्रेड मजबूत बनाए। उन्होंने इसे समझा और उस फ़ैसले का सम्मान किया।
क्या आपने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की?
सच कहूं तो नहीं। दिल कहता था कि उनसे उड़कर मिलूं और उन्हें मनाऊं, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। संगकारा और द्रविड़ ने भी नहीं किया। संजू सैमसन इतने सच्चे इंसान हैं कि उनकी इच्छा का सम्मान करना ही सही लगा। हां, हमने साफ कहा कि उनकी इच्छा तभी पूरी होगी जब टीम इससे मजबूत हो।
अगर ट्रेड न होता तो क्या उन्हें रिटेन करते? और CSK का ऑफ़र आपको क्यों सही लगा?
अगर वैसा कुछ होता तो हम उन्हें रिटेन करते। दो शर्तें थीं। पहली, इस प्रक्रिया को मैं खु़द संभालूं ताकि कोई ख़बर या जानकारी लीक न हो। दूसरी, मैं हर फ्रेंचाइजी से खु़द बात करूं ताकि कोई यह न कहे कि दोस्ती में फै़सला हुआ। मैंने हर टीम से बात की।
पांच टीमें काफ़ी दिलचस्पी ले रही थीं। CSK के साथ यह पांच छह हफ़्ते की समीक्षा, बातचीत और चर्चा के बाद तय हुआ। साथ ही संजू से लगातार बात होती रही।
तो सैमसन को भी प्रक्रिया में शामिल किया गया?
सौ प्रतिशत। हम बहुत बात करते रहे।
मीडिया में यह नैरेटिव बन गया कि फ्रेंचाइजी अव्यवस्था में है। द्रविड़ चले गए, मैनेजमेंट में बदलाव हुए, सैमसन जाना चाहते थे। कई बड़े चेहरे एक साथ गए। लेकिन ईमानदारी से कहूं तो अंदर से यह माहौल बिल्कुल अलग था। जून में सीजन खत्म हुआ। मेरा पहला संदेश था कि जून तक सब आराम करें। समीक्षा जुलाई से शुरू हुई और अगस्त के पहले हफ़्ते में ख़त्म भी हो गई। स्टुअर्ट को नई नौकरी शुरू करनी थी और कई लोग छुट्टी पर जाने वाले थे। अगस्त में मैं समीक्षा पर विचार करता रहा। संगकारा, द्रविड़ और सैमसन के साथ लगातार बातचीत चलती रही। सितंबर और अक्तूबर में अपने रणनीतियों को लागू किया गया।
जाडेजा को लेने के लिए आपको क्या चीज़ सबसे ज्यादा आकर्षित कर गई?
किसी भी मालिक के लिए जाडेजा को टीम में शामिल करने का मौक़ा ठुकराना मुश्किल होता। उनके बारे में तो कुछ भी बताने की जरूरत नहीं। वह IPL और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई ट्रॉफ़ियां जीत चुके हैं। हमारे बेहतरीन बल्लेबाज़ों, गेंदबाज़ों और फ़ील्डरों में शामिल हैं।
वह 2008 09 में हमारे साथ थे, लेकिन उस वक़्त वह उन्नीस साल के थे। तब मैं उन्हें उतना नहीं जानता था। इस बार जब CSK ने उन्हें बताया कि वह ट्रेड के लिए उपलब्ध हैं, तब उन्होंने मुझे फोन किया। वह RR लौटकर बहुत खु़श थे। लेकिन बात सिर्फ़ जाडेजा की नहीं थी। जाडेजा और सैम करन की थी।
करन इस ट्रेड का बड़ा हिस्सा हैं। दोनों मिलकर उन कई कमजोरियों को दूर करते हैं जो पिछले कुछ साल में उभरकर आई थीं। और सच कहूं तो जब खिलाड़ी बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों कर सकते हैं तो संतुलन बदल जाता है। हमने पिछले साल अपनी 90 करोड़ की पर्स में से अड़सठ करोड़ सिर्फ़ बल्लेबाज़ी पर ख़र्च किए। इससे असंतुलन होना ही था।
रवींद्र जाडेजा कप्तानी में दिलचस्पी रखते हैं। क्या इस विषय पर कोई बातचीत हुई?
नहीं। अभी इस पर चर्चा करने का कोई विचार भी नहीं है। हमने नेतृत्व समूह की दो बैठकें की हैं। एक बैठक में वह (जाडेजा) भी मौजूद थे। हमने स्पष्ट कर दिया कि कप्तानी का निर्णय तभी लिया जाएगा जब नीलामी पूरी हो जाएगी। बिना किसी ट्रेड को अंतिम रूप दिए कप्तानी की प्रक्रिया शुरू करना सही नहीं होगा। हमारी पहली प्राथमिकता अभी नीलामी है। कप्तानी का फ़ैसला उसके बाद किया जाएगा।
मेगा ऑक्शन पर आपकी क्या राय है?
मेरे हिसाब से मेगा ऑक्शन जारी रहना चाहिए। IPL की सबसे बड़ी खूबी है कि उसका नतीजा अनुमान से बाहर रहता है। हम पिछले तीन साल के चक्र में सबसे मजबूत टीमों में थे और एक साल में सबसे कमजोर टीम बन गए. लेकिन यही खेल की खूबसूरती है।
अगर सैलरी कैप मजबूत नहीं रहेगी और प्रक्रिया पारदर्शी नहीं होगी तो यह टूर्नामेंट सिर्फ़ सबसे अमीर मालिकों का बन जाएगाष NFL ड्राफ्ट और IPL ऑक्शन जितना साफ़ तरीका और कोई नहीं है। दुनिया भर की लीगों में देखा गया है कि जब बहुत रिटेंशन हो जाते हैं और ऑक्शन नहीं रहता तब चार टीमें ही टाइटल की दावेदार बचती हैं। यह फैंस के लिए अच्छा नहीं है। फैंस ऐसे मैच देखना चाहते हैं जहां मैच का नतीजा पहले से तय न हो।