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कैसे पीएसएल ने 17 साल बाद इंग्लैंड को पाकिस्तान लौटाया

इंग्लैंड की टीम 2005 के बाद पहली बार पाकिस्तान के दौरे पर है लेकिन दल के कई खिलाड़ियों के पास पाकिस्तान में खेलने का अनुभव है

David Willey removed Liam Dawson, Multan Sultans vs Islamabad United, PSL 2021-22, Lahore, February 20, 2022

पीएसएल के एक मैच के दौरान डेविड विली  •  PSL

4 मार्च 2017 की सुबह जब डाविड मलान और क्रिस जॉर्डन दुबई के एक होटल में बैठे अपने परिजनों के साथ मेसेज पर बातें कर रहे थे तो उनके सामने एक बड़ा फ़ैसला था। पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) के दूसरे सत्र का फ़ाइनल लाहौर में आयोजित होना था और ये दोनों खिलाड़ी इसी असमंजस में थे कि क्या उनका वहां जाना उचित होगा?
आख़िरकार उन्होंने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के सुरक्षा विशेषज्ञों के कौशल पर भरोसा जताया और लाहौर गए। 2009 में श्रीलंकाई टीम के ऊपर हुए हमले के बाद यह केवल दूसरी बार विदेशी खिलाड़ियों का समूह पाकिस्तान जा रहा था। मलान और जॉर्डन की टीम पेशावर ज़ल्मी ने मैच आसानी से जीता और 22,000 समर्थकों के सामने मैच बिना किसी व्यवधान के समाप्त हुआ।
मलान ने शनिवार को कराची में बैठे उस मैच को याद करते हुए कहा, "उस दौरान माहौल बहुत बढ़िया था। हमने शायद ही सोचा था कि उस एक मैच से पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के वापसी को कितनी सहायता मिलेगी। इस देश में क्रिकेट की बहुत दीवानगी है और कई सालों से यहां के समर्थक अपने मनपसंद खिलाड़ियों को देखने से वंचित थे।"
2017 का वह दौरा क़रीब 24 घंटे का ही था और एक साल पहले यूएई में लॉन्च किए गए नए लीग के लिए यह प्रयोग-समान था, लेकिन मलान और जॉर्डन का पाकिस्तान जाना बहुत महत्वपूर्ण था। 2005 के बाद से पहली बार इंग्लैंड का कोई क्रिकेटर पाकिस्तान में क़दम रख रहा था और वहीं से उनके साथियों को आने वाले समय में ऐसा करने की प्रेरणा मिली।
पीसीएल अपने आप में एक लोकप्रिय लीग है और इसकी गिनती आईपीएल के बाद ही की जाती है। हालांकि पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटरों के लौटने में इसने कूटनीतिक वाहन का काम भी किया है। इसके बाद कोई भी बोर्ड यह दावा नहीं कर सकता कि उसके खिलाड़ी पाकिस्तान में दौरा करने के बारे में चिंतित हैं।
पहले चार सत्रों में कराची किंग्स के कोच रह चुके मिकी आर्थर ने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों का शामिल होना उस समय भी एक बड़ा क़दम लगता था। यह ज़रूरी था कि खिलाड़ी पाकिस्तान जाने के लिए तैयार हों और पीएसएल के चलते ऐसा हुआ भी।"
तब से अब तक इंग्लैंड के खिलाड़ियों की पीएसएल में भागीदारी बढ़ती ही जा रही है। 2022 में 23 इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने कम से कम एक पीएसएल मैच खेला था। मंगलवार को शुरू होने वाली सीरीज़ के लिए चुने गए 20 सदस्यों की इंग्लैंड टीम में ठीक आधे ऐसे हैं जो पहले पाकिस्तान में खेल चुके हैं। ऐसे में वह बाक़ी के 10 खिलाड़ियों को अपना अनुभव साझा करके उन्हें पाकिस्तान में खेलने के बारे में आश्वासन दे सकते हैं।
ऑलराउंडर सैम करन ने बताया, "हमने पीएसएल खेले लड़कों से काफ़ी कुछ सुना है। मैंने उन से इसी बारे में बात की है कि यहां कैसे माहौल की उम्मीद की जाए।" जॉस बटलर ने कहा, "उन्होंने अपने सकारात्मक अनुभव के बारे में हमें बताया और ख़ास कर यह कि यहां के लोगों को क्रिकेट से कितना मोह है।"
पीएसएल में केवल इंग्लैंड के खिलाड़ी ही नहीं आते रहे हैं। कोचिंग भूमिका में जेम्स फ़ॉस्टर और पीटर मूर्स भी यहां आए हैं और डेविड गावर और निक नाइट ने यहां कॉमेंट्री भी की है। रिचर्ड इलिंगवर्थ और माइकल गफ़ ने पाकिस्तान में अंपायरिंग भी की है और इंग्लिश क्रिकेट संघ के सुरक्षा निदेशक रेज डिकासन को पीसीबी ने भी सलाहकार के रूप में भी नियुक्त किया है।
पीएसएल के लिए 2017 और 2021 के बीच खिलाड़ियों की नियुक्ति के मुखिया रहे इमरान अहमद ख़ान ने बताया, "कुछ मायनों में पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी का सबसे बड़ा जरिया पीएसएल ही रहा है। पूरे क्रिकेट जगत में इसने पाकिस्तान की छवि को बदल दिया है। इस के संदर्भ में इतने लोग जुड़ते हैं, जैसे खिलाड़ी, कोच, सपोर्ट स्टाफ़, प्रोडक्शन क्रू, कॉमेंटेटर। इन सब ने पाकिस्तान का अनुभव लिया है और फिर अपने देशों में जाकर इसके बारे में बताया है।"
मलान ने कहा, "पीएसएल मेरे लिए करियर का प्रारंभिक क़दम साबित हुआ। इसने मुझे सिखाया कि अपने गेम को उन्नत करने के लिए मुझे और क्या-क्या करने की आवश्यकता है।" दोनों टीमों के बीच के संबंध भी पहले से कहीं बेहतर नज़र आते हैं। शनिवार रात के अभ्यास सत्र के दौरान कई खिलाड़ी एक दूसरे से मिलकर बातें करते दिखे - मोईन अली और शान मसूद, लियम डॉसन और आसिफ़ अली, फ़िल सॉल्ट और शादाब ख़ान। अतीत में इंग्लैंड के कई पाकिस्तान दौरों पर टीमों के बीच गहमा गहमी का माहौल रहा है लेकिन इस बार इसकी संभावना ना के बराबर ही दिखती है।
ऐसे में 17 सालों के ग़ैरमौजूदगी के बावजूद इंग्लैंड की टीम इस सीरीज़ में मानसिक तैयारी के बिना नहीं उतरेगी। उन्हें पता है कि कराची में गेंद बैट पर अच्छे से आएगी लेकिन लाहौर में गेंद रुकेगी भी और कभी कभी अतिरिक्त उछाल भी लेगी। चाहे मंगलवार के मुक़ाबले का परिणाम कुछ भी हो, इंग्लैंड के दल के पाकिस्तान में मौजूद रहने को ही क्रिकेट और राजनैतिक कौशल के लिए एक बड़ी जीत मानी जाएगी।

मैट रोलर ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo के सीनियर असिस्टेंट एडिटर देबायन सेन ने किया है