2023 की आईपीएल नीलामी में देखने को मिला कि कुछ ही घंटे के अंदर 167 करोड़ में 80 खिलाड़ी ख़रीद लिए गए। कई रिकॉर्ड टूटे, कई पर निगाहें रही और कई ऐसे सवाल खड़े हुए कि जब खिलाड़ियों को अतिरिक्त रकम मिली या उम्मीद के मुताबिक कम रकम मिली। ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो ने ऐसे ही बड़े सवालों पर निगाह बनाई है और उनके उत्तर तलाशने का प्रयास किया।
सनराइज़र्स हैदराबाद का कप्तान कौन ?
सनराइज़र्स को भी यह अभी तक नहीं पता है। प्रमुख कोच ब्रायन लारा ने शुक्रवार को कहा कि पिछले साल मयंक अग्रवाल ने पंजाब किंग्स की कप्तानी की थी लेकिन उनको कप्तानी देना अनुचित होगा क्योंकि कई सीनियर खिलाड़ी पहले से ही टीम में हैं।
उनके पास कप्तानी के अन्य विकल्प अनुभवी भुवनेश्वर कुमार और ऐडन मारक्रम हैं लेकिन दोनों ही चेतावनियां लेकर आते हैं। भुवनेश्वर पर चोट की चिंता बनी रहती हैं और पिछले सीज़न वह सनराइज़र्स के 16 में से चार ही मैच खेल पाए। मारक्रम ने 2014 अंडर19 विश्व कप में साउथ अफ़्रीका की कप्तानी की थी और साउथ अफ़्रीका ए की भी कप्तानी की लेकिन उनकी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कप्तानी भूला देने वाली है, जहां उन्होंने 2018 की शुरुआत में भारत में पांच वनडे में टीम की कप्तानी की और सारे ही हारे, वैसे भी विदेशी को कप्तान बनाना हमेशा ही मुश्किल होता है, क्योंकि अंतिम 11 में चार ही विदेशी खिलाड़ी रह सकते हैं और कई फ़्रैंचाइज़ी को आईपीएल सीज़न में कप्तान की ख़राब फ़ॉर्म की वजह से कप्तान को बदलना पड़ा है।
ख़राब फ़ॉर्म के बाद भी पूरन 10.75 करोड़ की जगह 16 करोड़ में कैसे बिके ?
कुछ को लग सकता है कि पूरन के आईपीएल स्टॉक में गिरावट आई हैं क्योंकि अगस्त से वह ख़राब फ़ॉर्म में हैं, पूरन ने 20 टी20 पारियों में 114.28 के स्ट्राइक रेट और 10.80 की औसत से रन बनाए हैं और टी20 विश्व कप के बाद वेस्टइंडीज़ की कप्तानी त्यागने से पहले उन्होंने इस टूर्नामेंट में 13, सात और पांच का ही स्कोर किया।
लेकिन कुछ चीज़ें शुक्रवार को नीलामी में पूरन के पक्ष में गई। एक तो अबू धाबी टी10 में उन्होंने 10 पारियों में 234.69 के स्ट्राइक रेट से 25 छक्के और 31 चौके जड़ दिए। दूसरा उनका स्पिन के ख़िलाफ़ (152.20 का 31 पारी में) और तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ (151.42 का 39 पारी में) आईपीएल में अच्छा स्ट्राइक रेट है।
तीसरा, कई टीम विकेटकीपर को देख रही थी और पूरन इस रोल में फ़िट बैठते हैं। हां यह चर्चा का विषय हो सकता है कि उन पर 16 करोड़ ख़र्च करना सही था या नहीं लेकिन छोटी नीलामी में ऐसे ही होता है।
करन को स्टोक्स से ज़्यादा रकम क्यों ?
ऑलराउंडर को इतने मोटे चेक मिलने वाले हैं यह सभी जानते थे लेकिन यह भी हुआ कि सैम करन, कैमरन ग्रीन और बेन स्टोक्स में सबसे अनुभवी को सबसे कम रकम मिली।
एक कारण था कि स्टोक्स का नाम इन तीनों में सबसे बाद में आया। साथ ही ऑलराउंडर सहित सभी सेट में नाम बेतरतीब आते हैं और टीमों को उन पर बोली लगानी पड़ती है जिसका नाम पहले आए। करन, शाकिब अल हसन के बाद दूसरे नंबर पर आए और पंजाब किंग्स ने अपना बैंक बैलेंस तोड़ दिया। ग्रीन दूसरे सबसे बड़े ऑलराउंडरों में थे और मुंबई इंडियंस उन पर टूट पड़ी। स्टोक्स का नाम जब तक आया, किंग्स और मुंबई बोली नहीं लगाने वाली थी, सनराइज़र्स पहले ही हैरी ब्रूक और मयंक अग्रवाल पर 21.50 करोड़ ख़र्च कर चुकी थी और कुछ फ़्रैंचाइज़ी पहले ही कम रकम से जूझ रही थी, लेकिन चेन्नई के पास उनको ख़रीदने के लिए अभी भी पैसा बाक़ी था।
दूसरा कारण यह है कि करन की कुल मिलाकर एक टी20 खिलाड़ी के तौर पर उपयोगिता स्टोक्स से कुछ समय में आगे निकल गई है। उदाहरण के तौर पर 2020 से शुरू हुए टी20 में करन का स्पिन के ख़िलाफ़ बल्लेबाज़ी स्ट्राइक रेट 154.69 है जबकि स्टोक्स का 137.55। टी20 विश्व कप में इंग्लैंड की जीत में करन ने डेथ ओवर गेंदबाज़ी भी संभाली थी और केवल 64 गेंद में केवल 70 रन दिए जबकि स्टोक्स शायद ही डेथ ओवरों में गेंदबाज़ी करते हैं।
तीसरा कि करन केवल 24 साल के हैं और स्टोक्स 31 साल के और ख़ुद ब ख़ुद एक युवा को आईपीएल में लंबी इंवेस्टमेंट के तौर पर देखा जाता है।
टीमों ने रहाणे और रूट जैसे गैर टी20 विशेषज्ञ खिलाड़ियों को क्यों चुना ?
वे घरेलू टी20 खेल सकते हैं लेकिन अजिंंक्य रहाणे ने पिछला टी20 अंतर्राष्ट्रीय 2016 में खेला था और जो रूट ने 2019 में। लेकिन दोनों ही बल्लेबाज़ दुनिया भर की टी20 लीगों में जगह बना लेते हैं।
यहां तक कि मुंबई के लिए पिछले सीज़न सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में रहाणे हर 100 गेंद में 118 रन ही बना पाए, लेकिन जो उनके पक्ष में गया वह यह था कि वह भारतीय पिचों को जानते हैं और धीमे विकेट पर उनकी तक़नीक बेहतर है। अब क्योंकि चेन्नई सुपर किंग्स चेन्नई के धीमे विकेट पर लौट रही है तो ख़ासतौर पर इम्पैक्ट प्लेयर नियम आने से वह इन धीमे विकेट पर रनों का पीछा करते हुए अहम भूमिका निभा सकते हैं।
रूट भी 50 ओवर के विश्व कप से पहले भारतीय पिचों का अनुभव लेने के लिए आईपीएल में आ रहे हैं। जब से उन्होंने टेस्ट कप्तानी छोड़ी है वह खुलकर अपने टी20 गेम में सुधार की बाते करते रहे हैं और राजस्थान रॉयल्स में जॉस बटलर, यशस्वी जायसवाल और संजू सैमसन के रहते वह टीम में एंकर की भूमिका निभा सकते हैं। वैसे भी एक करोड़ की रक़म ज़्यादा भी नहीं है।
एक और फ़ैक्टर यह रहा जो रहाणे और रूट के पक्ष में गया कि अब टूर्नामेंट में 10 टीम है और नीलामी में अधिक खिलाड़ी ख़रीदे जा सकते हैं।
सनराइज़र्स ने बड़ा पर्स होने के बाद भी ऑलराउंडरों पर दांव क्यों नहीं खेला ?
सनराइज़र्स के पास सबसे मोटा 42.25 करोड़ का पर्स था और इससे साफ़ था कि उनके पास हाई प्रोफ़ाइल ऑलराउंडर ख़रीदने का मौक़ा था।
लेकिन जब तक ऑलराउंडर आए वे 21.50 करोड़ रूपये ब्रूक और अग्रवाल पर ख़र्च कर चुके थे। ब्रूक का एशिया में कुल मिलाकर स्ट्राइक रेट 167.43 का है और वह अभी अच्छी फ़ॉर्म में हैं, साथ अग्रवाल के तौर पर उन्हें एक मज़बूत शीर्ष क्रम बल्लेबाज़ बना। ऐसे में उनके पास ऑलराउंडर पर बोली लगाने के लिए अधिक पैसा नहीं बचा।
प्रमुख कोच लारा ने बाद में कहा कि नए इम्पैक्ट नियम की वजह से वह टीम में लचीलेपन को देख रहे थे। सनराइज़र्स ने साथ ही बताया कि वे अग्रवाल पर 10 से 15 करोड़ रुपये ख़र्च करने को तैयार थे, अच्छा रहा कि वह 8.25 करोड़ में मिल गए, जिससे उन्हें ब्रूक पर कुछ अधिक पैसा ख़र्च करने का मौक़ा मिल गया। वह बाद में स्टोक्स पर जाना चाहते थे लेकिन हट गए क्योंकि बोली 15 करोड़ तक पहुंच गई थी तो ऐसे में उन्होंने बाद में अन्य खिलाड़ियों पर ध्यान दिया।
ग्रीन कैसे मुंबई की XI में फ़िट बैठते हैं ?
यह तो साफ़ है कि ग्रीन कायरन पोलार्ड की जगह टीम में आए हैं लेकिन वह बल्लेबाज़ी कहां करेंगे? वह बल्लेबाज़ी क्रम में कहीं भी फ़िट बैठ सकते हैं लेकिन बेहतर है कि उनकी फ़ॉर्म को देखते हुए शीर्ष क्रम पर उनका उपयोग हो। मुंबई के पास पहले से ही सूर्यकुमार यादव और टिम डेविड हैं जो ताक़तवर फ़िनिशर हैं तो वह रोहित शर्मा के साथ विस्फ़ोटक ओपनर बन सकते हैं या अगर रोहित और इशान किशन ओपन करें तो बायें और दायें हाथ के संयोजन को देखते हुए नंबर तीन पर उतर सकते हैं।
अगर ज़रूरत पड़े तो मुंबई निचले क्रम में भी ग्रीन का उपयोग कर सकते हैं अगर सूर्यकुमार नंबर तीन पर उतरते हैं।
मुंबई का प्रमुख स्पिनर कौन होगा ?
नीलामी से पहले मुंबई के पास अनुभवहीन कुमार कार्तिकेय और ऋतिक शौकीन ही दो स्पिनर थे। वे श्रेयस गोपाल के साथ नहीं गए, उन्होंने मयंक मार्कंडेय या एम अश्विन को ख़रीदने की कोशिश नहीं की लेकिन उन्होंने पीयूष चावला को ख़रीदा जो 2022 आईपीएल में बिके नहीं थे और 2021 में केवल एक मैच खेले थे।
यह इसी वजह से हुआ क्योंकि मुंबई एक विशेषज्ञ स्पिन गेंदबाज़ी विकल्प को देख रहे थे, लेकिन इसके लिए उन्हें चावला को लगातार खिलाने का जुआ खेलना होगा, जो आकाश अंबानी के बयान के विरूद्ध जाता है, जहां शुक्रवार को उन्होंने कहा कि वे चाहते थे कि भविष्य की टीम को तैयार करने के लिए अधिक से अधिक युवा खिलाड़ी शामिल किए जाएं।
ब्रावो के जाने के बाद कौन होगा सीएसके का डेथ ओवर गेंदबाज़ ?
स्टोक्स अंतिम 11 में ड्वेन ब्रावो का सीधा विकल्प हैं, लेकिन चेन्नई के लिए डेथ ओवरों में गेंदबाज़ी कौन करेगा? ब्रावो के आख़िरी चार ओवरों में दो ओवर तय रहते थे ख़ासतौर पर चेपॉक की धीमी पिच पर और वह अकेले दम पर मैच अकेले दम पर जीता भी देते थे।
स्टोक्स ने जनवरी 2021 से केवल 29 गेंद डेथ ओवर में की हैं, ऐसे में वे महीश थीक्षणा के साथ जा सकते हैं जो श्रीलंका के लिए इस पल में अच्छी गेंदबाज़ी करते आए हैं और हाल ही में लंका प्रीमियर लीग में जाफ़ना किंग्स की ख़िताबी जीत का भी हिस्सा रहे हैं। इस साल डेथ ओवरों में उनका 7.35 का बेहतरीन इकॉनमी है, जो जसप्रीत बुमराह, अर्शदीप सिंह, सैम करन और अन्य से कहीं बेहतर है।