एक और ऐतिहासिक जीत की नायक बनीं झूलन गोस्वामी
अब अगले पिंक बॉल टेस्ट में उन पर लंबे स्पेल के साथ बल्ले से भी प्रदर्शन की ज़िम्मेदारी होगी
ऑन्नेशा घोष
26-Sep-2021
भारत और ऑस्ट्रेलिया के सीरीज़ ख़त्म होने पर आप झूलन गोस्वामी के प्रदर्शन का कौन सा हिस्सा सबसे ज़्यादा याद रखेंगे?
शायद दूसरे वनडे में ऑस्ट्रेलिया की अविश्वसनीय जीत का कारण रहा उनका आख़िरी ओवर का वो नो-बॉल जिसने पूरे मैच और सीरीज़ का रुख़ ही पलट दिया या फिर उसी मैच में अलिसा हीली को डाला गया इनस्विंगर जिसने दो आउटस्विंगर्स के बाद ऑस्ट्रेलिया की ओपनर को पांच वर्षों में पहली बार डक बनाकर पवेलियन भेजा।
वैसे रविवार को तीसरे मुक़ाबले में उसी क्रम के में मेग लानिंग को फंसाने का चाल भी बुरा नहीं था। अंदर आती गेंदों के बाद एक आउटस्विंगर, बाहरी किनारा और कैच। झूलन के लिए उनका दूसरा विकेट और लानिंग के लिए 2017 विश्व कप के बाद पहली बार शून्य का स्कोर। उस सेमीफ़ाइनल में भी उनको बोल्ड करने वाली गेंदबाज़ थीं झूलन गोस्वामी। एक पुराना याराना और एक सिलसिले का ख़ात्मा।
इस सुपर संडे से ही आप झूलन गोस्वामी की कई यादों को जोड़ सकते हैं। भारत के रिकॉर्ड चेज़ को अंजाम देने वाला उनका आख़िर में चौका या शायद ऑस्ट्रेलिया की पारी को समाप्त करते हुए उनका आख़िरी ओवर जिसमें उन्होंने चार रन देते हुए दो विकेट लिए और मेज़बान को 264 की स्कोर पर रोका। कुल मिलाकर सितंबर का यह दिन रहा झूलन गोस्वामी के नाम।
इस यादगार जीत में 37 रन देकर तीन विकेटों के साथ प्लेयर ऑफ़ द मैच का ख़िताब। साथ में यह उनका 192वा वनडे मैच होना, जिसमें महिला क्रिकेट में अब इस पैमाने पर उनके आगे सिर्फ़ एक ही खिलाड़ी हैं।
ऐसा नहीं था कि झूलन के लिए रविवार का दिन एकदम दोषहीन था। शुक्रवार की ऑस्ट्रेलिया के मैच विजेता को 29 के स्कोर पर उन्होंने जब ड्रॉप किया और साथ ही फ़ील्डिंग के दौरान कई और ग़लतियां दोहराईं तो दूसरे वनडे के रोमांचकारी हार की यादें ताज़ा हो गई होंगी।
जल्द ही 39 वर्ष की होने वालीं झूलन के बारे में तब भी स्मृति मांधना ने यही कहा था, "हम उस ओवर से पहले यही सोच रहे थे कि ओवर स्पिनर से करवाएं या झुलु दी से। लेकिन उनके पास यॉर्कर डालने की कला है और हमें लगा ओस से लैस मैदान पर तेज़ गति से यॉर्कर डालना ही सही रणनीति थी।"
अर्थात भारत की सबसे अनुभवी गेंदबाज़, इस फ़ॉर्मैट में सर्वाधिक विकेट लेने वाली गेंदबाज़ और एक भरपूर टीम प्लेयर के लिए अपने देश को ना जिता पाना काफ़ी दुखदायी रहा होगा। रविवार को झूलन बोलीं, "परसों का मैच हम जिस तरह हारे थे, उससे हमें काफ़ी मायूसी हुई। उस दिन मैदान पर ओस के चलते गेंदबाज़ों के लिए बहुत मुश्किलें पैदा हुई थी पर हम फिर भी मैच को आख़िरी गेंद तक खींच सके थे। बतौर एक सीनियर खिलाड़ी आज हमें अगर वापसी करनी थी, तो मुझे अच्छा पलटवार भी करना था। हम यहां अच्छा क्रिकेट ही खेलने आए हैं।"
आख़िर में तनाव के बीच मैच को ख़त्म करने के दबाव पर झूलन ने कहा, "मुझे पता था अगर मैं आख़िर तक रही तो हम ज़रूर जीतेंगे। मैंने मेघना सिंह से यही कहा कि हमें आख़िरी गेंद तक डटे रहना होगा। मैं अभ्यास में भी अच्छी बल्लेबाज़ी कर रही थी इसलिए मुझे ख़ुद पर पूरा भरोसा था।"
मल्टी फ़ॉर्मैट सीरीज़ में टीम इंडिया की अगली चुनौती ऐसी है जिसकी किसी खिलाड़ी को अनुभव नहीं है - पिंक बॉल टेस्ट। भारत ने इंग्लैंड में कुछ ही समय पहले सात सालों में अपना पहला टेस्ट खेला। लेकिन झूलन इस चुनौती के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, "पुछल्ले बल्लेबाज़ों को भी 15-20 रन जोड़ने पड़ते हैं। कप्तान और कोच भी मुझे कहते हैं कि मेरा रोल सिर्फ़ गेंदबाज़ी तक ही सीमित नहीं है। मैं नेट्स में काफ़ी मेहनत करती हूं ताक़ि मौक़े मिलने पर मैं उन्हें भुना सकूं।"
रविवार के जीत के बाद ट्विटर पर मांधना ने एक पोस्ट डाला जिसमें उनके साथ हरमनप्रीत कौर, शेफ़ाली वर्मा, हरलीन देओल और कदकाठी में संपन्न झूलन खड़ी थीं। कैप्शन में "लीजेंड" शब्द का उपयोग किया गया था।
36 घंटों में एक दिल तोड़ने वाले हार से उभरकर टीम को जीत तक ले जाने वाली एक ऐसे सीनियर खिलाड़ी के बारे में ऐसा लिखना कतई अनुचित नहीं था।
ऑन्नेशा घोष ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के दया सागर ने किया है