चैपल: साइमंड्स के अचानक निधन ने क्रिकेट में फ़ील्डिंग के महत्व का एहसास दिलाया
'यह महान क्षेत्ररक्षकों की प्रशंसा का समय है'
इयन चैपल
22-May-2022
रोड दुर्घटना में ऐंड्रयू साइमंड्स के अचानक निधन ने मुझे क्रिकेट के खेल में फ़ील्डिंग के महत्व का एहसास दिलाया। अपने खेल जीवन में साइमंड्स ने 30 गज़ के घेरे में फ़ील्डिंग करते हुए हमेशा सही मार्ग चुना। सही मार्ग का अर्थ यह नहीं है कि आप हमेशा गेंद की तरफ़ जाएं। इसका अर्थ यह है कि आप हमेशा गेंद को लपक कर सही छोर पर थ्रो करें। साइमंड्स ने हमेशा ऐसा ही किया और कई बल्लेबाज़ इसका शिकार हुए।
उनके टीम में आने से रिकी पोंटिंग को स्लिप में जाने का मौक़ा मिला। उस समय पोंटिंग और साउथ अफ़्रीका के दिग्गज जॉन्टी रोड्स को विश्व क्रिकेट की सबसे घातक फ़ील्डिंग जोड़ी माना जाता था। ये दोनों रन बचाने में माहिर थे, लेकिन सटीक थ्रो करने की कला के कारण मैंने हमेशा पोंटिंग को तरजीह दी। उनके थ्रो या तो स्टंप्स पर लगते या उसके क़रीब से निकल जाते। इस वजह से पोंटिंग कभी भी रन आउट करने की क्षमता रखते थे। दूसरी तरफ़ रोड्स तेज़ गति से दौड़ लगाते थे लेकिन उनके थ्रो में वह सटीकता नहीं थी।
यह फ़ील्डिंग का एक महत्वपूर्ण पक्ष है और किसी भी खिलाड़ी को आंकने का पैमाना बन सकता है। अपने समय के अच्छे फ़ील्डरों की सूची में मैं ऑस्ट्रेलिया के डग वॉल्टर्स को चुस्त पॉल शीहन से ऊपर रखता हूं। दोनों तेज़ गति से भागते थे और रन बचाते थे लेकिन वॉल्टर्स के पास स्टंप्स बिखेरने की कला थी।
इसके अलावा नील हार्वी एक बेहतरीन कवर फ़ील्डर थे। जब भी कोई बल्लेबाज़ उनके हाथों से रन चुराने की ग़लती करता, उसे उसका ख़ामियाज़ा ज़रूर भुगतना पड़ता। अपने करियर के अंतिम वर्षों में उन्होंने स्लिप में फ़ील्डिंग करते हुए कई शानदार कैच भी लपके।
वेस्टइंडीज़ के पास भी कवर क्षेत्र में फ़ील्डिंग करने वाले कई चपल फ़ील्डर थे। क्लाइव लॉयड उनमें से एक थे। उनकी चुस्ती के कारण लोग उन्हें 'सुपर कैट' बुलाने लगे। वह इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने लंबे हाथों, गति और तेज़ थ्रो से कई शिकार किए थे।
लॉयड और हार्वी की तरह विव रिचर्ड्स भी अपने करियर के दूसरे भाग में स्लिप में चले गए थे लेकिन वह 30 गज़ के घेरे के अंदर काफ़ी ख़तरनाक साबित हुए। वह काफ़ी फुर्तीले थे और उनके पास एक मज़बूत और सटीक थ्रो था।
सर गारफ़ील्ड सोबर्स को बेहतरीन फ़ील्डरों की सूची में नहीं गिना जाता है क्योंकि उन्होंने ज़्यादातर समय गेंदबाज़ी करने और स्लिप में कैच लपकने में बिताया था। हालांकि 30 गज़ के घेरे के अंदर कोई भी उनको कम समझने की ग़लती नहीं करता था।
भारत की ओर से मोहम्मद अज़हरुद्दीन और पटौदी के छोटे नवाब दो बेहतरीन फ़ील्डर बनकर उभरे थे। लोग अज़हरुद्दीन की उतनी प्रशंसा नहीं करते थे लेकिन अपनी तेज़ी, सटीकता और कैच लपकने की कला के कारण मैं उन्हें विश्व के ऑलराउंड फ़ील्डरों में से एक मानता हूं। 'टाइगर' को भारत की संघर्ष करती फ़ील्डिंग के उद्धार का श्रेय दिया जाता है। भारत की एक क्रिकेट डॉक्यूमेंट्री में उन्होंने भारत की फ़ील्डिंग का वर्णन करते हुए कहा था, "बल्लेबाज़ स्लिप में जाकर सारे कैच छोड़ते रहते थे।" पटौदी ने भारत में फ़ील्डिंग की मानसिकता को बदलकर रख दिया।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अच्छी फ़ील्डिंग की उम्मीद की जाती है। हालांकि निरंतरता के साथ बेहतरीन फ़ील्डिंग आपको मैच जिताती हैं और सभी कप्तानों को इसकी चाह होती है।
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान इयन चैपल ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो में स्तंभकार हैं