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साई किशोर: मेरी सफलता का राज़ अंतरात्मा की आवाज़ सुनना है

साई किशोर की कप्तानी में तमिलनाडु की टीम ने रणजी ट्रॉफ़ी में लगातार तीन बड़ी जीत हासिल की है

R Sai Kishore gets ready to bowl, Afghanistan vs India, Asian Games final, Hangzhou, October 7, 2023

गेंदबाज़ी के लिए तैयार होते हुए साई किशोर  •  Xinhua via Getty Images

काफ़ी साल पहले आर साई किशोर ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और एक पेशेवर क्रिकेटर बनने के लिए इंजीनियरिंग छोड़ दी। उसी आंतरिक आवाज ने उन्हें चेन्नई सुपर किंग्स और गुजरात टाइटंस के साथ IPL ख़िताब जीतने का भी मौक़ा दिया और यहां तक कि उन्हें पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में में भी पदार्पन करने का भी मौक़ा मिल गया। इस रणजी ट्रॉफ़ी सीज़न में तमिलनाडु की पूर्णकालिक कप्तानी संभालने के बाद साई किशोर ने उस आंतरिक आवाज़ को सुनना जारी रखा है और वह उसी के अनुसार फ़ैसला ले रहे हैं।
उनकी कप्तानी में तमिलनाडु इस सीज़न तीन बड़ी जीत के साथ ग्रुप सी की अंक तालिका में टॉप पर है। 2015 के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है कि उन्हें रणजी ट्रॉफ़ी में लगातार तीन जीत मिली है। अब उनकी अगली भिड़ंत कर्नाटका के ख़िलाफ़ है और वह अपने विजय रथ को जारी रखने का पूरा प्रयास करेंगे।
साई किशोर ने ESPNcricinfo को बताया, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरा करियर यहां तक आ पाएगा लेकिन मैंने अपने अंदर की आवाज़ सुनी और वह मुझे इस स्तर तक लेकर आई। मैं अपने अंतरआत्मा की आवाज पर काफ़ी भरोसा करता हूं। उदाहरण के लिए त्रिपुरा के ख़िलाफ़ इस सीज़न हमने टॉस जीता और स्विंग के लिए मददगार परिस्थितियों में पहले बल्लेबाज़ी की। वह एक अच्छा निर्णय नहीं था, मैं इसे स्वीकार करता हूं। हालांकि मेरे अंदर से आवाज़ आई कि हमें पहले बल्लेबाज़ी करना चाहिए और मैंने वही चुना। वह फ़ैसला ग़लत था और मैं उससे सीख भी लूंगा लेकिन उस दिन मैंने वही किया, जो मेरी अंतरआत्मा ने कहा।"
"हमारी टीम को इस सीज़न में काफ़ी सफलता मिली है। हालांकि एक कप्तान के रूप में मैंने सिर्फ़ यही चाहा है कि हार-जीत के बारे में ज़्यादा न सोचा जाए। मैं हमेशा इस प्रयास में रहता हूं कि खिलाड़ी टीम में अपनी जगह को लेकर बेफ़िक्र रहें। मैं टीम में 30 रन या दो विकेट को भी शतक या पांच विकेट के समान महत्व दे रहा हूं। मुझे लगता है इसी कारण से हम खेल का अधिक आनंद ले पा रहे हैं।"
साई किशोर अपने पहले IPL कप्तान एमएस धोनी और कोच स्टीवन फ़्लेमिंग से प्रेरणा लेते हैं, जिन्होंने परिणामों पर ध्यान देने की बजाय, प्रक्रियाओं को प्राथमिकता देते हैं।
साई किशोर कहते हैं, "मैंने इस खेल के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों से काफ़ी कुछ सीखा है। मैं फ्लेमिंग और धोनी के साथ CSK जैसे माहौल में रहा हूं। फ़्लेमिंग शानदार तरीक़े से टीम को चलाते हैं। जब आप घरेलू क्रिकेट से में खेल रहे होतें हैं तो आप ऐसी कोचिंग शैली नहीं देख पाते हैं। 2020 में CSK की टीम हारती रही, मैदान के बाहर लोग काफ़ी कुछ बोल रहे थे, लेकिन धोनी ने हमेशा इसे शांति से संभाला और कभी भी हम पर दबाव नहीं बनने दिया।
"जब आप इस तरह की चीज़ें देखते हैं, तो आप उसके साथ तालमेल बिठाने की कोशिश करते हैं। भले ही इसे एहसास करने में काफ़ी कम समय लगता है लेकिन इसमें महारत हासिल करने में पूरा जीवन लग जाता है। इसका मुख्य हिस्सा यह है कि आप खेल को कैसे खेलते हैं और अगर आप केवल परिणाम पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो वहां अधिक दबाव होगा और आप इसे नियंत्रित नहीं कर पाएंगे।"
"जब हाई-आर्म एक्शन वाले लंबे स्पिनर की ज़रूरत तो मुझे बुलावा आ सकता है। दुख की बात यह है कि एक अरब लोगों में से केवल 15 ही टीम में हो सकते हैं। जब तक मेरा मौक़ा नहीं आता है, मैं ख़ुद को तैयार रखने की कोशिश करूंगा।
आर साई किशोर
साई किशोर ने एक कप्तान के तौर पर टीम के लिए उदाहरण पेश करते हुए पांच मैचों में 18.85 की औसत से 27 विकेट लिए हैं। इस रणजी सीज़न में अब तक केवल चार अन्य गेंदबाज़ों के नाम साई किशोर से ज़्यादा विकेट हैं। इससे पहले वह 50 ओवरों की विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में आठ मैचों में 19 विकेट लेकर संयुक्त रूप से सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे। राहुल तेवतिया इस सीज़न बेहतरीन फ़ॉर्म में चल रहे थे। सात पारियों में वह सिर्फ़ एक ही बार आउट हुए थे और वह काम साई किशोर ने किया था।
साई किशोर कहते हैं, ''तेवु(तेवतिया) सबसे चतुर खिलाड़ियों में से एक है। मुझे लगता है कि GT में पहले वर्ष में मैं उनके ख़िलाफ़ नेट्स में काफ़ी कारगर साबित होता था, हालांकि दूसरे वर्ष में उन्होंने मुझे मात दे दी। वह तेज़ गति और स्पिन दोनों के ख़िलाफ़ ही अच्छा प्रदर्शन करते हैं। उस मैच में मेरे अंदर की आवाज़ ने मुझसे कहा कि मुझे हवा में धीमी गेंद फेंकनी चाहिए लेकिन गेंद घूमनी नहीं चाहिए। मैं ऐसा करने में क़ामयाब रहा और मुझे उनकी विकेट मिल गई।"
"उस टूर्नामेंट के बाद हमने रणजी से पहले बड़ौदा के ख़िलाफ़ दो अभ्यास खेल थे और वह सफ़ेद गेंद क्रिकेट से लाल गेंद की क्रिकेट में आने के लिए पर्याप्त था। वर्कलोड प्रबंधन के कारण मैं अभ्यास में ज़्यादा गेंदबाज़ी नहीं करता क्योंकि मैं मैच में काफ़ी गेंदबाज़ी करता हूं। मैं अभ्यास के दौरान खु़द को मानसिक और शारीरिक रूप से तरोताज़ा रखने की कोशिश कर रहा हूं।
हालिया समय में साई किशोर ने बल्ले से भी योगदान देने का प्रयास किया है। अपनी बल्लेबाज़ी के संदर्भ में वह कहते हैं, ''बल्लेबाज़ी के लिहाज़ से मैं बहुत आगे बढ़ चुका हूं। अब मैं इस रणजी ट्रॉफ़ी में बल्ले से भी अच्छा प्रदर्शन करने के लिए तमिलनाडु के लिए एक गेम जीतना चाहता हूं। दलीप ट्रॉफी में मैं दबाव वाले क्षणों में नॉर्थ ज़ोन के ख़िलाफ़ अच्छा प्रदर्शन करने में क़ामयाब रहा था।"
दलीप ट्रॉफ़ी में बल्ले के साथ बढ़िया प्रदर्शन करने के बाद साई किशोर को एशियन गेम्स के दौरान भारतीय टीम का हिस्सा बनाया गया था। जब उन्हें अपना डेब्यू मैच खेलने का मौक़ा मिला तो राष्ट्रगान के समय उनके आंखों में आंसू थे और वह क्लिप सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो गई थी।
साई किशोर ने कहा, "जब मुझे डेब्यू कैप मिला तो मैंने रुतु [ऋतुराज गायकवाड़] से कहा कि यह मेरे लिए बहुत ही सामान्य सा अनुभव है। लेकिन जब राष्ट्रगान बजा तो मैं खु़द को नियंत्रित नहीं कर सका और अपनी भावनाओं को नहीं संभाल पाया। अपने देश का प्रतिनिधित्व करना हर क्रिकेटर के लिए एक सपने की तरह होता है।
एशियिन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने के बाद से साई किशोर को भारत या भारत ए टीम में नहीं चुना गया है, लेकिन वह संघर्ष के लिए तैयार हैं और उम्मीद करते हैं कि उनका समय ज़रूर आएगा।
वह कहते हैं, "आपके पास और कोई विकल्प नहीं है। आप परेशान होकर किसी भी चुनौती से पीछे नहीं हट सकते। मुझे यह चुनौती पसंद है। मुझे यक़ीन है कि मेरे लिए वह क्षण ही जल्द ही आएगा और मैं उसके लिए तैयार रहना चाहता हूं।"
"जब हाई-आर्म एक्शन वाले लंबे स्पिनर की ज़रूरत तो मुझे बुलावा आ सकता है। दुख की बात यह है कि एक अरब लोगों में से केवल 15 ही टीम में हो सकते हैं। जब तक मेरा मौक़ा नहीं आता है, मैं ख़ुद को तैयार रखने की कोशिश करूंगा। मैं बल्ले से सिर्फ़ 20 रन बनाने वाला खिलाड़ी नहीं बनना चाहता; मैं बल्ले और गेंद दोनों से प्रभाव डालना चाहता हूं। जब भी मुझे मौक़ा मिलेगा तो मैं कम से कम छह-सात साल तक खेलते रहूंगा।"
साई किशोर फ़िलहाल अपना पूरा ध्यान रणजी ट्रॉफ़ी में देना चाहते हैं। उन्होंने 2005 के बाद से रणजी ट्रॉफ़ी में नौ प्रयासों में कर्नाटक को सिर्फ़ एक बार हराया है। कप्तान मयंक अग्रवाल और देवदत्त पड़िक्कल की वापसी से कर्नाटक को और मज़बूती मिलेगी। इस मैच का विजेता ग्रुप सी की अंक तालिका में शीर्ष स्थान पर रह सकता है।
साई किशोर कहते हैं, "जब दांव बड़ा हो तो कर्नाटक जैसी टीम के ख़िलाफ़ प्रतिस्पर्धा करना खु़शी की बात है। हमें उम्मीद है कि हम अपनी पूरी क्षमता से खेलेंगे और फिर परिणाम अपने आप अच्छा आएगा।"