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सूर्यकुमार यादव: ऐसा कभी नहीं होता कि सभी पहलू दुरुस्त हो जाएं

भारत अगला T20 विश्व कप जीतने का सबसे मज़बूत दावेदारों में शामिल है, लेकिन कप्तान का कुछ और ही मानना है

Suryakumar Yadav shapes to play the ramp, Australia vs India, 1st T20I, Canberra, October 29, 2025

Suryakumar Yadav ने भारतीय बल्लेबाज़ों के आक्रामक रवैये की तारीफ़ की  •  AFP/Getty Images

भारत ने अब तक 2024 T20 विश्व कप जीतने के बाद कुल सात T20 सीरीज़ खेले हैं और उन सभी श्रृंखलाओं में भारत ने जीत दर्ज की है। इस अवधि में उन्होंने 26 मैच जीते हैं और चार मैच हारे हैं। अभी भारत को अपने घरेलू सरज़मीं पर और तीन सीरीज़ खेलने हैं। इसके बाद वे T20 विश्व कप के लिए जाएंगे। उनकी ताक़त , अनुभव और मौजूदा प्रदर्शन को देखते हुए, यह कहा जा सकता है कि वे निश्चित रूप से ख़िताब के प्रबल दावेदार हैं। हालांकि कप्तान सूर्यकुमार यादव मानते हैं कि कभी यह नहीं कहा जा सकता टीम हर मोर्चे पर पूरी तरह से तैयार है।
सूर्यकुमार ने ब्रिस्बेन मैच रद्द होने के बाद कहा, "मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि हमारे पास इतने अलग-अलग कौशल वाले खिलाड़ी हैं।"
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत पूरी तरह से संतुलित टीम बन चुका है तो उन्होंने कहा, "हर खिलाड़ी टीम में अलग-अलग प्रतिभा लेकर आता है। जब हम बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी और फ़ील्डिंग पर बात करते हैं, तो आप मैदान पर ऊर्जा महसूस कर सकते हैं। सभी खिलाड़ी एक साथ खेलते हुए, खेल का आनंद लेते हैं।"
"बल्लेबाज़ी के नज़रिए से, पिछले छह से आठ महीनों में हम जिस रणनीति के साथ चल रहे हैं, हम उसी पर टिके हुए हैं। शीर्ष क्रम जिस तरह से खेल रहा है, वह सभी के चेहरे पर मुस्कान ला देता है।"
"गेंदबाज़ी के मोर्चे पर भी खिलाड़ी ज़िम्मेदारी ले रहे हैं। अनुभवी गेंदबाज़ [जसप्रीत] बुमराह टीम में हैं, और बाक़ी सभी उनसे सीख रहे हैं। इससे टीम में दोस्ती और समझ दोनों बढ़ी हैं।"
"हम उस मुकाम पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। क्रिकेट में कभी ऐसा नहीं होता कि सब कुछ परफेक्ट हो गया। हर मैच से कुछ सीख मिलती है।"
इस श्रृंखला के "प्लेयर ऑफ द सीरीज़" अभिषेक शर्मा सूर्यकुमार के बगल में ही बैठे थे। गेंदों की संख्या के लिहाज से सबसे तेज़ 1000 T20I रन पूरे करने वाले बल्लेबाज़ बन गए हैं । उन्होंने एक ऐसा मैच भी खेला जिसमें उन्होंने पिच को मुश्किल समझकर संयम से बल्लेबाज़ी की, और भारत ने उस मैच में 167 रन का सफल बचाव किया।
सूर्यकुमार उनके इस पहलू से काफ़ी प्रभावित थे, और मज़ाक में बोले कि कभी-कभी बाघ को भी शाकाहारी बनना पड़ता है। उन्होंने कहा, "अगर विकेट मुश्किल है, तो जितनी जल्दी आप ढलेंगे, उतना अच्छा है। आज विकेट अच्छा था, तो वह फिर से अपने स्वाभाविक आक्रामक खेल पर लौट आए। लेकिन पिछले मैच में विकेट को समझना ज़रूरी था। उसी को समझते हुए इन दोनों (अभिषेक और शुभमन गिल) ने बहुत अच्छी तरह से अपनी जिम्मेदारी को पूरा किया।"
"यह दोनों आपस में काफ़ी अच्छा संवाद करते हैं। विकेटों के बीच काफ़ी तेज़ भागते हैं। T20 में सिर्फ़ 120 गेंदें होती हैं, लेकिन कभी-कभी खिलाड़ियों के पास उससे ज़्यादा समय होता है जितना वे सोचते हैं। अगर वे चार-पांच गेंदें ज़्यादा भी लेते हैं तो उनके पास इतनी क्षमता है कि वो जल्दी रिकवर कर लेते हैं।"
अभिषेक ने अपनी सफलता का श्रेय टीम मैनेजमेंट को दिया, जिन्होंने उन्हें पूरी आज़ादी दी थी। उन्होंने कहा, "टीम ने मुझसे कहा था कि अगर तुम लगातार 15 बार शून्य पर भी आउट हुए, तब भी तुम टीम में रहोगे। मुझे पता था कि यहां उछाल और गति ज़्यादा होगी, लेकिन मैंने पहले से तय कर लिया था कि मैं अपने स्वभाविक तरीके से ही खेलूंगा। बतौर ओपनर, अपने रोल को समझना आसान होता है।"
"लेकिन जब आप आक्रामक क्रिकेट खेलते हैं, तो आपको आत्मविश्वास और क्षमता दोनों चाहिए होती हैं। कप्तान और कोच ने हमेशा मुझे बैक किया है। मैंने इस पर बहुत मेहनत की, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में जाकर उन्हें सफेद गेंद क्रिकेट में हराना आसान नहीं है। इसलिए मैं उसी तरह से खेलना चाहता था, जैसे मैं एशिया कप में खेल रहा था"

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के वरिष्ठ लेखक हैं।

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