ICC के प्रस्तावित रेवेन्यू मॉडल पर एसोसिएट देशों ने जताई चिंता
आईसीसी के पूर्व प्रमुख एहसान मनी ने कहा कि इससे विश्व क्रिकेट की भारत के ऊपर निर्भरता बढ़ जाएगी
रॉयटर्स
31-May-2023
आईसीसी के नए रेवेन्यू मॉडल से एसोसिएट सदस्य संतुष्ट नहीं हैं, उन्हें इस बात की आशंका है कि नया रेवेन्यू मॉडल गेम के सुपरपावर्स के पक्ष में है और इससे खेल का विकास रुक सकता है। आईसीसी द्वारा प्रस्तावित नए रेवेन्यू मॉडल (2024-27) पर इसी साल जुलाई में डरबन में वोटिंग होनी है।
जैसा कि ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि नए वित्तीय मॉडल में अकेले बीसीसीआई सालाना 38.5 फ़ीसदी रेवेन्यू प्राप्त करेगा। आईसीसी के 12 पूर्ण सदस्यों के बीच 88.81 फ़ीसदी के रेवेन्यू वितरित होगा जबकि बाक़ी अन्य 94 एसोसिएट देशों के बीच वितरित किया जाएगा।
हालांकि आईसीसी ने अब तक इसको लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन सोमवार को जनरल मैनेजर वसीम ख़ान ने बताया कि नए मॉडल में सभी सदस्य देशों को पहले के मुक़ाबले अधिक राशि मिलेगी। वहीं पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड पहले ही इस रेवेन्यू मॉडल को लेकर अपना विरोध दर्ज करा चुका है।
रेवेन्यू मॉडल के विरोध को लेकर एसोसिएट सदस्य देशों का तर्क यह है कि उन्हें अपने देशों में क्रिकेट की स्थिति बेहतर करने के लिए अधिक राशि की आवश्यकता है। जिस तरह से नेपाल और थाईलैंड की महिला टीम के उभार का हवाला भी दे रहे हैं।
रेवेन्यू मॉडल से असहमति जताते हुए आईसीसी के पूर्व अध्यक्ष एहसान मानी ने कहा है कि गवर्निंग बॉडी में विज़न की साफ़ तौर पर कमी है। मनी ने पूर्ण सदस्य देशों में बराबर राशि वितरित किए जाने की वकालत की।
उन्होंने रॉयटर्स से कहा, "विश्व क्रिकेट के लिए सबसे बड़ा जोख़िम किसी एक देश (भारत) पर अत्यधिक निर्भरता है। आने वाले समय में चीन, यूएसए और मिडिल ईस्ट आईसीसी को काफ़ी फ़ायदा पहुंचाएंगे। विश्व क्रिकेट इससे अधिक मज़बूत और अमीर होगा। विश्व क्रिकेट को एक मज़बूत वेस्ट इंडीज़, साउथ अफ़्रीका, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान की ज़रूरत है। फ़ंड की कमी के चलते ज़िम्बाब्वे, आयरलैंड और अफ़ग़ानिस्तान में क्रिकेट प्रभावित हुआ है। निवेश की कमी कई देशों में इस खेल के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है।"