रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के ख़िलाफ़ मुंबई इंडियंस की टीम जब आईपीएल 2023 के अपने पहले
मैच में खेलने उतरी तो उनके मध्य क्रम में कई जाने-पहचाने और बड़े नामों के बीच एक नया नाम दिखाई दिया। यह नाम
नेहाल वढेरा का था, जिन्हें लेजेंड्री कायरन पोलार्ड की जगह भरनी थी। पोलार्ड की तरह नेहाल को भी लंबे-लंबे छक्के मारने के लिए जाना जाता है। अपने पहले ही मैच में उन्होंने 101 मीटर का लंबा छक्का जड़ा, जो स्टेडियम के बाहर चला गया। नेहाल ने इस मैच में 13 गेंदों में 21 रनों की पारी खेली, जिसमें एक चौका और दो गगनचुंबी छक्के शामिल थे।
पिछले साल राजस्थान रॉयल्स के लिए ट्रायल देने के बाद जब उनका चयन आईपीएल के लिए नहीं हुआ, तब वह अपने गृहराज्य पंजाब वापस लौटे और राज्य स्तरीय अंडर-23 टूर्नामेंट में लुधियाना के लिए 578 रन की विश्व रिकॉर्ड पारी खेल डाली। सिर्फ़ 414 गेंदों की इस पारी में 37 छक्के और 42 चौके शामिल थे। इस पारी के दौरान मुंबई इंडियंस के स्काउट्स का ध्यान उन पर पड़ा और दो ट्रायल्स के बाद नेहाल मुंबई की टीम में थे।
हालांकि 22 साल के नेहाल के लिए यह सफ़र इतना भी आसान नहीं था। उन्होंने नौ साल की उम्र में ही बल्ला थाम लिया था, जब उनकी कामकाजी मां ने गर्मी की छुट्टियों में उनको व्यस्त रखने के लिए उन्हें एक समर कैंप में डाला था। वहां वह क्रिकेट में अपने से बड़े उम्र के बच्चों के भी बीच अव्वल आए। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े उनके माता-पिता को तभी समझ में आ गया था कि क्रिकेट ही नेहाल का करियर होने वाला है। उन्होंने तभी नेहाल को लुधियाना क्रिकेट एसोसिएशन से संबद्ध कराया और वह क्रिकेट की बारीकियां सीखने लगे।
नेहाल के बचपन के कोच चरणजीत भंगु बताते हैं, "एक कोच के रूप में आपको किसी बच्चे को पहली ही नज़र में देखकर ही समझ में आ जाता है कि उसमें कितनी क्षमता है। नेहाल जब मेरे पास आया, तो वह बहुत छोटा, मोटा और गोलू सा था। लेकिन वह मेरी बातों को बहुत ही जल्दी पकड़ता था और उसे अपने खेल पर लागू करता था। जब कोई खिलाड़ी ऐसे करता है, तो आप उस पर अधिक ध्यान देने लगते हो। मैंने भी उस पर काम किया। प्रैक्टिस ख़त्म होने के बाद वह रात में आठ-नौ बजे भी मेरे कमरे पर आ जाता था और कहता था कि मुझे यह समस्या है, मुझे यह बता दीजिए। वह सब जगह अपने बैट साथ लेकर चलता था, ताकि शैडो प्रैक्टिस करता रहे। उसको चैन नहीं आता था, जब तक उसकी समस्या हल नहीं हो जाए। वह संतुष्ट नहीं होता था और मुझे भी बहुत परेशान करता था। यह किसी भी नए खिलाड़ी के लिए बहुत अच्छी बात होती है।"
धीरे-धीरे नेहाल पंजाब क्रिकेट में उभरते चले गए। अंडर-14 से लेकर अंडर-16, अंडर-19 उन्होंने सभी एज-ग्रुप क्रिकेट खेला और अपने अच्छे प्रदर्शन की बदौलत वह 2018 में भारत की अंडर-19 टीम में भी आ गए। वह 2019 में इंडिया-ए अंडर 19 क्रिकेट टीम के
कप्तान भी बने। इसके बाद उन्हें
अंडर-19 एशिया कप में भी जगह मिली। हालांकि जब 2020 में हुए अंडर-19 विश्व कप के लिए टीम की घोषणा हुई, तब नेहाल का नाम टीम में नहीं था। यह नेहाल के लिए एक बड़ा झटका था।
नेहाल के पिता कमल वढेरा बताते हैं, "यह उसके लिए बहुत चुनौतीपूर्ण समय था। हालांकि वह बहुत पॉज़िटिव लड़का है। वह यह नहीं सोचता कि 'क्या मैं इसे कर सकता हूं', बल्कि वह यह सोचता है कि 'मैं इसे कैसे करूंगा'। उसे अपने ऊपर संदेह (सेल्फ़ डाउट) कभी नहीं होता। कभी कुछ कठिनाई आती है तो वह हमेशा उससे बाहर निकलने की ही सोचता है, ना कि उसमें घुटता है। सच कहूं तो एक मिडिल क्लास परिवार से आने के कारण हमारी कोई नाटकीय कहानी नहीं है। उसने जब जो चाहा उसे परिवार की तरफ़ से मिल गया, लेकिन अच्छी बात यह है कि उसने उसका सही प्रयोग किया। ना उसने समय ख़राब किया और ना ही पैसा। अंडर-19 विश्व कप के बाद जब कोरोना आया तो उसने अपनी फ़िटनेस पर काम किया। घर पर ही रहना था तो उसने अपने मानसिक स्वास्थ्य पर भी काम किया और पढ़ने की आदत डाली। अब उसका अपने ऊपर विश्वास और भी बढ़ गया है।"
एज ग्रुप क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने के बावज़ूद सीनियर क्रिकेट में आने के लिए भी नेहाल को संघर्ष करना पड़ा। पंजाब क्रिकेट की बल्लेबाज़ी क्रम में कुछ बड़े नाम होने के कारण एकादश में उनकी जगह ही नहीं बनी। यही कारण है कि उनके नाम एक भी विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी और सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी के मैच नहीं हैं। हालांकि उन्हें इसी साल जनवरी में गुजरात के ख़िलाफ़ रणजी ट्रॉफ़ी मैच में
डेब्यू करने का मौक़ा मिला और उन्होंने शतक लगाकर इसे भुनाया। इसके बाद नेहाल ने तत्कालीन विजेता मध्य प्रदेश के ख़िलाफ़ अपने होमग्राउंड पर
दोहरा शतक भी मारा।
कुल मिलाकर 2023 का साल नेहाल के लिए अब तक बेहतरीन रहा है और आईपीएल की प्रदर्शन की बदौलत वह इस साल को और भी बड़ा बनाने की कोशिश करेंगे।