यह तस्वीर भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के ज़ेहन में अब भी ताज़ा होगी • Getty Images
पाकिस्तान से पहला मैच हारने के बाद भारत और न्यूज़ीलैंड दोनों टीमें रविवार को दुबई के मैदान में एक-दूसरे के ख़िलाफ़ भिड़ेंगी। आईसीसी टूर्नामेंट्स में भारत का न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कुछ ख़ास उत्साह पैदा नहीं करता है। चलिए नज़र डालते हैं ऐसे ही कुछ मुक़ाबलों पर-
उस साल चैंपियंस ट्रॉफ़ी आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफ़ी के नाम से खेला गया था। अपना हर मैच जीतकर भारत और न्यूज़ीलैंड दोनों टीमें फ़ाइनल में पहुंची थीं और केन्या की राजधानी नैरोबी में यह मुक़ाबला खेला जाना था।
भारत ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए कप्तान सौरव गांगुली के शतक (117) और सचिन तेंदुलकर के अर्धशतक (69) की मदद से 50 ओवर में 264 का स्कोर खड़ा किया। दोनों सलामी बल्लेबाज़ों के आउट होने के बाद कोई भी भारतीय बल्लेबाज़ क्रीज़ पर टिक कर नहीं खेल सका और भारतीय टीम अच्छी और तेज़ शुरुआत के बाद भी 300 का स्कोर नहीं बना सकी। न्यूज़ीलैंड की ओर से हरफ़नमौला स्कॉट स्टॉयरिस ने दो विकेट लेने के साथ-साथ दो रन आउट भी किए।
265 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी न्यूज़ीलैंड की शुरुआत अच्छी नहीं रही थी और नियमित अंतराल पर उनके विकेट गिरते रहे, लेकिन नंबर पांच पर बल्लेबाज़ी करने आए क्रिस केर्न्स ने आतिशी शतक लगाकर मैच को न्यूज़ीलैंड के नाम करा दिया। सातवें नंबर पर आए क्रिस हैरिस ने भी उनका बख़ूबी साथ दिया और 46 रन बनाए। भारत की ओर से वेंकटेश प्रसाद ने तीन विकेट लिए लेकिन तब तक ट्रॉफ़ी हाथ से फिसल चुकी था।
जोहानसबर्ग के मैदान पर पहले टी20 विश्व कप के ग्रुप ई का मुक़ाबला खेला गया। न्यूज़ीलैंड ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए ब्रेंडन मक्कलम (45), क्रेग मैकमिलन (44) और जैकब ओरम (35) की पारियों की बदौलत 20 ओवर में 190 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया।
भारतीय टीम ने गौतम गंभीर (51) और वीरेंद्र सहवाग (40) की बदौलत तेज़ शुरुआत की लेकिन विपक्षी कप्तान डेनियल वेटोरी (4 विकेट) ने मध्य और निचले मध्य क्रम के विकेट ज़ल्दी-ज़ल्दी निपटाकर अपनी टीम को 10 रन से जीत दिला दी।
इसके बाद भारत और न्यूज़ीलैंड की टीमें लगभग एक दशक बाद नागपुर के मैदान में टी20 विश्व कप के सुपर 10 मुक़ाबले में एक दूसरे से भिड़ीं। इस मैच को मिचेल सैंटनर और इश सोढ़ी के गेंदबाज़ी के लिए जाना जाता है, जिनकी स्पिन जोड़ी ने मिलकर भारत के सात विकेट चटकाए और भारत को सिर्फ़ 79 रन पर ऑल आउट करा दिया। इससे पहले भारतीय गेंदबाज़ों ने कसी हुई गेंदबाज़ी कर न्यूज़ीलैंड को 20 ओवर में सिर्फ़ 126 रन पर रोक दिया था।
इस मैच की यादें भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के ज़ेहन में अब भी ताज़ा होगी। महेंद्र सिंह धोनी का वह रन आउट कौन भूल सकता है भला। बहरहाल न्यूज़ीलैंड और भारत की टीमें 2019 वन डे विश्व कप के फ़ाइनल में पहुंचने के लिए मैनचेस्टर में एक दूसरे से भिड़ रही थीं। न्यूज़ीलैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए कप्तान केन विलियमसन (67) और रॉस टेलर (74) की मदद से निर्धारित 50 ओवर में 8 विकेट खोकर 239 रन बनाए। मैनचेस्टर के पिच पर यह चुनौतीपूर्ण स्कोर था। भारत की ओर से भुवनेश्वर कुमार ने तीन विकेट लिए।
जवाब में बल्लेबाज़ी करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत बेहद ही ख़राब रही। केएल राहुल, रोहित शर्मा और कप्तान विराट कोहली सब एक-एक रन के निजी स्कोर पर पवेलियन में थे। भारत ने पांच रन के भीतर अपने तीन प्रमुख बल्लेबाज़ गंवा दिए थे। 30 ओवर तक भारत का स्कोर 100 रन भी नहीं था और उसके शीर्ष क्रम के छह बल्लेबाज़ पवेलियन में थे। ऐसे में महेंद्र सिंह धोनी (50) और रवींद्र जाडेजा (77) ने पारी को संभाला और एक समय तक जीत की संभावना भी बन रही थी। लेकिन गप्टिल के एक थ्रो ने धोनी को रन आउट कर करोड़ों भारतीय क्रिकेट प्रेमियों का दिल तोड़ दिया।
यह टेस्ट क्रिकेट में अपने तरह का एक पहला और अनोखा प्रयोग था, जब विश्व की दो शीर्ष टेस्ट टीमें दो साल तक अन्य टीमों से मुक़ाबला कर फ़ाइनल में भिड़ रही थीं, ताकि यह निर्णय किया जा सके कि टेस्ट क्रिकेट का किंग कौन है? भारत इस प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन कर फ़ाइनल में पहुंचा था और अनुभव, आंकड़े, फ़ॉर्म, टीम संतुलन आदि के आधार पर भारत का पलड़ा भारी जताया जा रहा था। एक और चीज़ भारत के पक्ष में यह थी कि न्यूज़ीलैंड ने कभी भी कोई वैश्विक ट्रॉफ़ी नहीं जीती था। 2019 वन डे विश्व कप के फ़ाइनल में उसे इंग्लैंड ने हरा दिया था और उसका विश्व चैंपियन बनने का सपना अधूरा रह गया था।
हां, न्यूज़ीलैंड के पक्ष में बस एक चीज़ की थी कि उसने फ़ाइनल से पहले इंग्लैंड के ख़िलाफ़ दो टेस्ट मैच खेले थे और वे भारतीय टीम के मुक़ाबले परिस्थितियों के अधिक अनुकूल थे।
इस बार न्यूज़ीलैंड कुछ अलग सोच के आया भी था। उसने मैच के पहले ही दिन से अपना कब्ज़ा कसना शुरु किया। काइल जेमीसन ने पांच विकेट लेकर भारतीय बल्लेबाज़ों की बखिया उधेड़ दी और उन्हें 217 रन के स्कोर पर सिमेट दिया। जवाब में मोहम्मद शमी (4 विकेट) और इशांत शर्मा (3 विकेट) की अनुभवी जोड़ी ने भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा और न्यूज़ीलैंड को 249 रन पर ऑल आउट कर यह सुनिश्चत किया कि न्यूज़ीलैंड बड़ी बढ़त ना ले और भारत मैच में बना रहा।
लेकिन दूसरी पारी में भारत ने और ख़राब बल्लेबाज़ी की व पूरी टीम 170 रन पर ही सिमट गई। चौथी पारी में न्यूज़ीलैंड को 139 रन का एक मामूली लक्ष्य मिला, जिसे उन्होंने सिर्फ़ दो विकेट खोकर ही प्राप्त कर लिया। 2019 विश्व कप फ़ाइनल की ही तरह एक बार फिर केन विलियमसन और रॉस टेलर आख़िरी पारी के हीरो रहे, जिन्होंने क्रमशः नाबाद 52 और नाबाद 47 रन बनाकर अपनी टीम को पहली बार विश्व चैंपियन बना दिया।
हालांकि भारत की तरफ से एकमात्र अच्छी बात यह है कि 31 अक्टूबर के दिन दोनों टीमों के बीच एकमात्र सीमित ओवर का अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबला हुआ है, तब 1987 विश्व कप के लीग मुक़ाबले में भारत ने न्यूज़ीलैंड को 9 विकेट के बड़े अंतर से हराया था। यह वही मैच है, जिसमें सुनील गावस्कर ने वन डे का अपना एकमात्र शतक लगाया था, जबकि चेतन शर्मा ने विश्व कप की पहली हैट्रिक ली थी।