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मां को खोने से लेकर बार-बार चोटिल होने तक, देविका ने पिछले कुछ सालों में काफ़ी कुछ झेला है

क्रिकेट के मैदान पर एक बार फिर से देविका की वापसी, एक अदभुत कहानी है

Devika Vaidya picked up two wickets, India vs Australia, 3rd T20I, Mumbai, December 14, 2022

निजी ज़िदगी में काफ़ी ज़्यादा संघर्ष करने के बाद देविका फिर एक बार मैदान पर हैं  •  Getty Images

देविका वैद्य कठिन परिस्थितियों का आनंद लेती हैं। यह भी कहा जा सकता है कि ऐसी परिस्थितियों में अपना काम करते रहना उनके स्वभाव में शामिल है।
दूसरे टी20 मैच के दौरान देविका मैदान पर तब उतरी जब भारत को 10 गेंदों में 18 रनों की आवश्यकता थी। स्टेडियम का हाल ऐसा था कि देविका के सामने तक़रीबन 47 हज़ार दर्शक भारतीय टीम की जीत के लिए उनकी ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे थे। मैच ऐसी परिस्थिति में पहुंचा कि भारत को अंतिम गेंद पर पांच रनों की आवश्यकता थी और देविका ने उस गेंद पर चौका लगा कर मैच को सुपर ओवर में पहुंचा दिया।
वहीं चौथे टी20 मैच में देविका जब बल्लेबाज़ी करने आईं तो 189 रनों का पीछा करते हुए भारत 49 के स्कोर पर तीन विकेट गंवा चुका था। भारतीय महिला टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर को एक ऐसी साझेदार चाहिए थी, जो क्रीज़ पर टिक कर उनका साथ दे सके।
देविका ने स्ट्राइक रोटेट करते हुए अपने कप्तान का पूरा साथ देने का प्रयास किया। दोनों के बीच 72 रनों की साझेदारी हुई और इसके लिए दोनो खिलाड़ियों ने सिर्फ़ 45 गेंद लिए। इस साझेदारी में देविका ने 20 गेंदों में 24 रन बनाए। इसी साझेदारी की वजह से भारत एक बार फिर से मैच में वापसी करने में सफल रहा।
अगर देविका के निजी जिंदगी को देखें तो 2017 तक सब कुछ ठीक था। 17 साल की उम्र में ही उन्हें भारत के लिए टी20 मैच खेलने का मौक़ा मिल गया था। विश्व कप क्वालीफ़ायर्स में वह गेंद और बल्ले के साथ वह बढ़िया प्रदर्शन भी कर रही थीं। इसके बाद कंधे की चोट ने उन्हें काफ़ी परेशान किया। 50 ओवर के विश्व कप के लिए चयनकर्ताओं की उन पर नज़र थी लेकिन चोट ने उन्हें विश्व कप के चयनित होने से रोक दिया। इसके बाद फिर से जब वह भारतीय टीम में वापसी करने वाली थीं तो उन्हें डेंगू हो गया। 2018 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए उन्हें इंडिया ए टीम का कप्तान बनाया गया, लेकिन चिकनगुनिया होने के कारण एक बार फिर से उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा।
चोटों ने देविका को इतना परेशान कर दिया कि उनका आत्मविश्वास काफ़ी गिर गया। वह सोचने लगी कि क्या वह अब फिर से कभी क्रिकेट खेल पाएंगी या क्या वह सच में क्रिकेट के मैदान में फिर से वापसी करना भी चाहती हैं? उनका सपना था कि वह भारत के लिए विश्व कप जीतना चाहती हैं लेकिन क्या वह फिर से भारतीय टीम में शामिल हो पाएंगी?
देविका ने चौथे टी20 अंतर्राष्ट्रीय के बाद कहा, "वापसी करना, देश के लिए खेलना और विश्व कप जीतना, यह उनका हमेशा से ही एक सपना था। उस सपने ने वास्तव में मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। जब भी मैं सोचती थी कि अब बस हो गया, मुझे और नहीं खेलना है, तो मैं परेशान हो जाती थी। मुझे ऐसा लगता था कि अगर मैं फिर से नहीं खेलूंगी तो विश्व कप कैसे जीतूंगी।"
इसी कारण से वह कड़ी मेहनत करती रहीं और 2019 की शुरुआत में उन्हें इंग्लैंड सीरीज़ के लिए चयनित किया गया। लेकिन मुसीबत है कि मानती ही नहीं। उस सीरीज़ से पहले देविका की माता का देहांत हो गया। इसके बाद देविका सदमे में थीं।
कोविड शुरू होने के बाद मुझे यह एहसास हुआ कि मेरे इतने क़रीब का एक इंसान अब मेरे साथ नहीं था। तब मुझे अपने परिवार का भी समर्थन करना था। क्रिकेट की तरह ही वहां भी एक साझेदारी निभानी थी। दादा-दादी मेरी देखभाल करते थे और मैं उनकी देखभाल करती थी।
देविका
उस दौर को याद करते हुए देविका कहती हैं, "मैं समझ ही नहीं पाई कि क्या हुआ है। उस वक़्त खेल मेरे लिए बस मन को भटकाने का रास्ता था। मैं घर नहीं जाना चाहती थी। कुछ हुआ था लेकिन मुझे नहीं पता कि क्या हुआ था। मैं इस तथ्य को जानना नहीं चाहती थी कि वह अब मेरे साथ नहीं है। कुल मिला कर मैं बस वास्तविकता से बचने का प्रयास कर रही थी।"
इसके बाद कोविड का समय आ गया। देविका इसके कारण कुछ दिन क्रिकेट से दूर रहीं। वह इस पूरे समय में ख़ुद को और अपने परिवार को संभालने का प्रयास कर रही थीं।
उन्होंने कहा, "कोविड शुरू होने के बाद मुझे यह एहसास हुआ कि मेरे इतने क़रीब का एक इंसान अब मेरे साथ नहीं था। तब मुझे अपने परिवार का भी समर्थन करना था। क्रिकेट की तरह ही वहां भी एक साझेदारी निभानी थी। दादा-दादी मेरी देखभाल करते थे और मैं उनकी देखभाल करती थी। यह एक लंबी यात्रा थी लेकिन फिर कुछ चीज़ों को स्वीकार करना पड़ता है।"
उन्होंने कहा, "मेरी मां हमेशा मेरे साथ है। चाहे मैं खेल रही हूं, नहीं खेल रहा हूं,रो रही हूं, हँस रही हूं, मैच जीत रही हूं, वह हमेशा मेरे साथ है। अब जब मैंने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है तो मेरे लिए इससे निपटना बहुत आसान है।"
इन सबका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा। वेदिका अपने मुद्दों पर चर्चा करने और लोगों के साथ व्यक्तिगत मामलों के बारे में खुलकर बात करने वालों में से नहीं हैं, चाहे वह परिवार हो या दोस्त। लेकिन उन्हें अपनी मां के अलावा अन्य लोगों पर भरोसा करना सीखना पड़ा। अपनी बचपन की दोस्त और भारत की उप-कप्तान स्मृति मांधाना के संपर्क में रहने से भी उन्हें मदद मिली।
उन्होंने कहा, "मुझे एहसास हुआ कि मेरी मां के अलावा भी एक दुनिया है। इसमें समय लगा लेकिन अब मैं ठीक हूं।"

एस सुदर्शन ESPNcricinfo के सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।