इस सीज़न के अपने आख़िरी WPL मैच में राणा ने 26 रन देकर 3 विकेट लिए, जिनमें मुंबई इंडियंस की दोनों सलामी बल्लेबाज़ों के विकेट शामिल थे • BCCI
जब स्नेह राणा ने अनुष्का संजीवनी को आउट कर कोलंबो में हुई वनडे त्रिकोणीय सीरीज़ के फ़ाइनल में भारत को जीत दिलाई, तो उन्होंने अपना दाएं हाथ की आस्तीन नीचे करते हुए एक टैटू दिखाया। कलाई के नीचे गुदे इस टैटू पर देवनागरी में लिखा था- "विद्रोही"।
भारत की ऑफ़ स्पिन ऑलराउंडर राणा कहती हैं, "अगर कोई मुझसे कहता है कि ये काम नहीं हो सकता, तो मेरा पहला सवाल होता है, 'क्यों नहीं हो सकता है? बिल्कुल हो सकता है।' मैं विद्रोह कर देती हूं।"
श्रीलंका में हुई त्रिकोणीय सीरीज़ राणा की कई वापसियों में से एक थी। करीब डेढ़ साल बाद सफ़ेद गेंद क्रिकेट खेलते हुए उन्होंने पांच मैचों में 15 विकेट लिए और सीरीज़ की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहीं। इनमें से पांच विकेट साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ आए, जो उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। उन्हें प्लेयर ऑफ़ द मैच चुना गया और वह स्मृति मांधना व दीप्ति शर्मा के बाद तीनों फ़ॉर्मैट में प्लेयर ऑफ़ द मैच पुरस्कार जीतने वाली सिर्फ़ तीसरी भारतीय खिलाड़ी बनीं।
सीरीज़ खत्म होने के तुरंत बाद राणा ने एक और वापसी की। जब भारत ने इंग्लैंड दौरे के लिए टीम का ऐलान किया, तो वह दो साल से अधिक समय के बाद T20I टीम में भी लौटीं।
विद्रोही राणा का अकेला टैटू नहीं है। कहा जाता है कि शरीर मंदिर जैसा होता है, लेकिन राणा उसे एक डायरी की तरह मानती हैं, जिसमें वह अपनी ज़िंदगी के अहम पल दर्ज करती हैं। उन्होंने 2014 में भारत के लिए डेब्यू किया और लगभग दो साल बाद उन्हें घुटने की चोट लगी, जिसके कारण वह एक साल तक मैदान से दूर रहीं। उस समय लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि उनका करियर ख़त्म हो गया है। तब उन्होंने अपने बाएं हाथ पर एक एंकर साइन का टैटू बनवाया, जिसके साथ लिखा था "I refuse to sink"।
राणा बताती हैं, "वह एक साल बहुत कठिन था। ऐसे समय में शांत और धैर्यवान रहना बेहद ज़रूरी था और आपके आस-पास के लोग भी बहुत अहम होते हैं। मैं ख़ुशक़िस्मत थी कि मेरे माता-पिता मेरे साथ थे। उन्होंने मुझे कभी टूटने नहीं दिया।"
राणा घरेलू क्रिकेट में चमकती रहीं और पांच साल बाद वह भारतीय टीम में और ज़्यादा मज़बूत होकर लौटीं। उनका बॉलिंग एक्शन थोड़ा साइड-ऑन हुआ, शरीर का इस्तेमाल बेहतर हुआ और उन्होंने गेंद को ज़्यादा स्पिन कराना शुरू किया।
वापसी के अपने पहले मैच में ब्रिस्टल में टेस्ट डेब्यू करते हुए उन्होंने इंग्लैंड की पारी में चार विकेट लिए। जब भारत फॉलोऑन खेल रहा था, तब उन्होंने नंबर आठ पर नाबाद 80 रन बनाकर मैच बचाया। वह वनडे और T20I में भी प्रभावित करने में सफल रहीं। उस समय के कोच रमेश पवार ने उन्हें "सीरीज़ की खोज़" कहा था।
राणा के लिए यह एक भावनात्मक दौर था। इंग्लैंड दौरे के लिए चुने जाने से एक महीने पहले उन्होंने अपने पिता को खो दिया था। उनके निधन की तारीख़ को राणा ने अपने बाएं हाथ पर रोमन अंकों में गुदवाया है।
वह कहती हैं, "आप जानते हैं कि बाप-बेटी का रिश्ता कैसा होता है। मेरे पापा हमेशा मेरा साथ देते थे। वह चाहते थे कि मैं फिर से भारत के लिए खेलूं। लेकिन जब वह दिन आया, तो वह इसे देखने के लिए नहीं थे।
"जब आप अचानक किसी पैरेंट को खोते हैं, तो उसे स्वीकार करना आसान नहीं होता। मुझे काफ़ी संघर्ष करना पड़ा। कई बार मैं मैदान पर होती और समझ नहीं आता था कि मेरे आस-पास क्या हो रहा है। मैं अंदर ही अंदर अभी भी पापा के बारे में सोच रही थी।"
So finally after 5 long years the wait is over PAPA this one's for you It's an emotional moment for me and my Fam.I can't describe my emotions.Just wanna thank each and everyone for your guidance and support throughout this journey. Papa,wish u were here to live this moment pic.twitter.com/kjTQXikqPW
राणा ने टीम की सपोर्ट स्टाफ़ की स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट मुग्धा बावरे से मदद ली। अपनी बातें बांटने से उन्हें बेहतर महसूस हुआ। बाद में उन्होंने एक मनोचिकित्सक से भी संपर्क किया।
राणा कहती हैं, "ज़िंदगी में ऐसे दौर भी आते हैं जब आपका शरीर कहता है कि आपको मदद की ज़रूरत है। चीज़ें जमा हो रही थीं और मैं उन्हें अकेले नहीं संभाल पा रही थी।"
भारत में मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना अब शर्म की बात नहीं रही, लेकिन राणा इसे और सामान्य बनाना चाहती हैं। वह कहती हैं, "अगर आप शारीरिक रूप से ठीक नहीं हैं, तो आप डॉक्टर के पास जाते हैं। फिर जब आप मानसिक रूप से जूझ रहे हों, तो मदद क्यों नहीं लें? इसमें कुछ ग़लत नहीं है। और यह ज़रूरी नहीं कि आप सिर्फ बुरे समय में ही उनसे बात करें। आप अपने ग्रोथ के लिए भी ऐसा कर सकते हैं।"
एक और विषय जिस पर वह जागरूकता फैलाना चाहती हैं, वह है - महिला क्रिकेटरों को पीरियड्स के दौरान आने वाली चुनौतियां। उस दौरान कई खिलाड़ियों को दर्द निवारक दवाओं और हीट पैच का इस्तेमाल करना पड़ता है। राणा को खुद तेज़ क्रैम्प्स आते हैं।
वह बताती हैं, "श्रीलंका ट्राई-सीरीज़ के पहले मैच में मैं अपने पीरियड साइकिल के पहले या दूसरे दिन पर थी। यह मेरी वापसी का मैच था, इसलिए तमाम तकलीफ़ और दर्द के बावज़ूद मैंने पूरा ज़ोर लगा दिया और भगवान की कृपा से तीन अहम विकेट लिए।"
अध्ययनों से पता चला है कि महिला खिलाड़ियों को इंज़री का ख़तरा माहवारी के दौरान और उससे ठीक पहले सबसे अधिक होता है। इसलिए खिलाड़ियों को अपनी ट्रेनिंग का तरीका बदलना पड़ता है।
राणा कहती हैं, "माहवारी से पहले हम ट्रेनिंग की तीव्रता को कम करते हैं और रिकवरी पर ध्यान देते हैं। माहवारी के दौरान, जब तक मैच ना हो, हम आराम को प्राथमिकता देते हैं और हल्के अभ्यास करते हैं। ओव्यूलेशन के समय हम कंडीशनिंग और जोड़ की मजबूती पर काम करते हैं। माहवारी के बाद हम फिर से फ़ुल ट्रेनिंग करते हैं, क्योंकि इस समय एक महिला का शरीर सबसे अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। स्किल पर हम पूरे महीने काम करते हैं, बस तीव्रता बदलती रहती है।"
राणा का यह स्वरूप, जो मुश्किल विषयों पर बात करने से घबराता नहीं, अपने मन की बात सबके सामने रखता है और इंस्टाग्राम पर नए ट्रेंड्स पर रील बनाता है, वह उत्तराखंड के गांव सिन्नौला में पली-बढ़ी उस शर्मीली लड़की से बिलकुल अलग हैं। वह लड़की, जो एक स्थानीय मैच के दौरान गेंदबाज़ी के लिए कहे जाने पर पेड़ के पीछे छुप गई थी।
उस समय उत्तराखंड राज्य की महिला क्रिकेट टीम नहीं थी और उन्हें क्रिकेट के लिए अपना राज्य छोड़ना पड़ा। जब वह हरियाणा, पंजाब और फिर रेलवे के लिए खेली, तब उन्हें दुनिया की समझ आई। उन्होंने समय के साथ अपने अंदर धैर्य विकसित किया।
वह कहती हैं, "धैर्य मेरी सबसे बड़ी ताक़त है और यही बात संस्कृत में उन्होंने अपने दाहिने हाथ पर गुदवाई है - "तव धैर्यं तव बलम् अस्ति"। उन्होंने असफलताओं के बाद खुद को संयम से संभालना सीख लिया है।
राणा 2023 में साउथ अफ्रीका में हुए T20 विश्व कप के दौरान ट्रैवलिंग रिज़र्व थीं। जब पूजा वस्त्रकर सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ नहीं खेल सकीं, तब राणा को टीम में शामिल किया गया। उन्होंने उस मैच में चार ओवर में 33 रन दिए और उन्हें कोई विकेट नहीं मिला। भारत वह मैच हार गया। फ़रवरी 2023 का वह मैच उनका आख़िरी T20I है। साल के अंत तक वह वनडे टीम से भी बाहर हो गईं।
उन्हें टीम से बाहर किए जाने की वजह कभी सार्वजनिक नहीं की गई। बस अनुमान लगाया जा सकता है कि शायद टीम को दीप्ति शर्मा के रहते एक और ऑफ़ स्पिन ऑलराउंडर की ज़रूरत नहीं थी।
लेकिन जब किसी खिलाड़ी को टीम से बाहर किया जाता है, तो क्या कप्तान, कोच या चयनकर्ता उससे बात करते हैं?
राणा कहती हैं, "अगर वह आपको आराम देते हैं तो वह कॉल ज़रूर करते हैं।" जो उन्होंने नहीं कहा उससे आपको आपका जवाब मिल जाता है।
"यह सिस्टम बहुत समय से चला आ रहा है। इसमें बदलाव होने में समय लगेगा।"
लेकिन अब उन्होंने ऐसे झटकों को लेकर व्यावहारिक रवैया अपनाना सीख लिया है। वह जानती हैं कि चयन उनके हाथ में नहीं है और इसलिए वह अपनी ऊर्जा अपने खेल को सुधारने में लगाती हैं।
वह कहती हैं, "क्रिकेट जिस तरह से बदलता रहता है, उसके हिसाब से आपको अपने स्किल को अपडेट करना पड़ता है और उसी हिसाब से अभ्यास करना पड़ता है।" राणा ने इस दौरान यॉर्कर, वाइड यॉर्कर, क्रीज़ का इस्तेमाल, सीम का इस्तेमाल, गति कम करना और सीधी गेंद डालना सीखा है।
राणा ने इन स्किल्स को नेट्स में निखारा और घरेलू क्रिकेट में आज़माया है। इससे उन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में दबाव की स्थिति में इन्हें लागू करने का आत्मविश्वास मिला है। इसका एक शानदार उदाहरण 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स का सेमीफ़ाइनल मैच है।
इंग्लैंड को आख़िरी ओवर में 14 रन चाहिए थे और उनके पास पांच विकेट थे। भारत की धीमी ओवर गति के कारण सिर्फ तीन फ़ील्डर ही सर्किल से बाहर हो सकते थे। राणा ने इस दौरान कुछ सटीक यॉर्कर और फ़ुलर गेंदें फेंकी। उनके इस ओवर में एक कैच छूटा और आख़िरी गेंद पर एक छक्का भी पड़ा, लेकिन तब तक मैच लगभग खत्म हो चुका था। राणा ने इस ओवर में सिर्फ़ नौ रन दिए और इस जीत से भारत का रजत पदक पक्का हुआ।
2025 के WPL के दौरान उनकी बल्लेबाज़ी में सुधार दिखाई दिया। नीलामी में उन्हें कोई ख़रीददार नहीं मिला था, लेकिन बाद में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू (RCB) ने उन्हें रिप्लेसमेंट खिलाड़ी के तौर पर टीम में शामिल किया। टीम प्रबंधन ने उन्हें बल्लेबाज़ी में "कैमियो रोल" के लिए तैयार रहने को कहा और राणा ने यह ज़िम्मेदारी शानदार तरीके से निभाई।
सीज़न की अपनी दूसरी पारी में UP वॉरियर्ज़ के ख़िलाफ़ नंबर 10 पर खेलते हुए उन्होंने छह गेंद में 26 रन बनाए, जिसमें तीन छक्के और दो चौके शामिल थे। यह पहली बार था, जब उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट और WPL की कुल 49 पारियों में कोई छक्का मारा था।
उनकी पारी ने RCB को 226 रन के लक्ष्य के क़रीब पहुंचा दिया, लेकिन अंत में 13 रन से पीछे रह गए। उन्होंने पांच मैचों में 8.22 की इकॉनमी से छह विकेट भी लिए। WPL और श्रीलंका त्रिकोणीय सीरीज़ में किए गए प्रदर्शन की बदौलत इंग्लैंड दौरे के लिए अब राणा की भारतीय T20I टीम में भी वापसी हुई है।
उनका धैर्य रंग लाया है। अब समय है भीतर के विद्रोही के प्रयोग का।